Agnipath scheme: भारतीय सेना में अब जवानों की भर्ती अग्निवीर योजना के तहत की जाती है। ऐसे में इस योजना का काफी विरोध भी होता है। इसके चलते एक तरफ विपक्ष केंद्र सरकार पर निशाना साधता है तो दूसरी ओर बीजेपी सरकार के सहयोगी दल भी इस योजना में बदलाव की मांग करते हैं। हालांकि, इस स्कीम को लागू करने के दौरान रक्षा मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो इस योजना का रिव्यू किया जाएगा। साथ ही उसके हिसाब से परिवर्तन भी हो सकता है। ऐसे में अब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या सत्ता में आते ही भाजपा सरकार अग्निपथ योजना का रिव्यू करेगी?
DMA ने तीनों सेना से अग्निवीर पर मांगी रिपोर्ट
सूत्रों के अनुसार, डिपार्टमेंट ऑफ मिलेट्री अफेयर्स (DMA) ने तीनों सेना से इस पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही कहा जा रहा है कि चार साल के कार्यकाल को बढ़ने, ज्यादा भर्ती और 25 पर्सेंट रिटेंशन की सीमा को बढ़ाने की बात की जा सकती है, लेकिन यह कितनी होगी इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा ट्रेनिंग और या ड्यूटी पर किसी अग्निवीर को मौत या घायल होने की सूरत में परिवार को आर्थिक सहायता दिए जाने को लेकर भी मंथन किया जा रहा है। इतना ही नहीं रेगुलर सेना के जवानों और अग्निवीर को मिलने वाली छुट्टियों के अंतर में भी बदलाव की उम्मीद है। सामान्य सोलजर को साल में 90 दिन की छुट्टी मिलती है, तो अग्निवीरो को साल में सिर्फ 30 दिन की। तो इसमें बदलाव किया जा सकता है।
अग्निपथ योजना क्या है?
दरअसल, 16 जून साल 2022 को भारतीय जनता पार्टी द्वारा अग्निपथ योजना को लाया गया था। इस स्कीम के तहत आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में 4 साल के लिए युवाओं की कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती की जाती है। यह भर्ती ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की होती है। भर्ती होने पर पहले छह महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। उसके बाद जवानों (अग्निवीरों) की तैनाती की जाती है।
रेटिंग के आधार 25% को परमानेंट
चार साल बाद कार्य क्षमता के आधार पर रेटिंग दी जाती है। रेटिंग देखकर मेरिट लिस्ट तैयार होती है, जिसमें से 25 फीसदी अग्निवीरों को सेना में परमानेंट कर दिया जाता है। बाकी जवान वापस आकर कोई और नौकरी या फिर कारोबार कर सकते हैं। अग्निवीरों को 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद 12वीं के समकक्ष सर्टिफिकेट दिया जाएगा।