Abbas Ansari: सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को पिता की कब्र पर फातिहा पढ़ने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिये गये निर्देश के मुताबिक, अब्बास अंसारी को पुलिस हिरासत में कासगंज जेल से उसके गाजीपुर स्थित घर ले जाया जाएगा। पुलिस हिरासत में ही अब्बास अंसारी को 13 अप्रैल को वापस कासगंज जेल लाया जाएगा।
अब्बास अंसारी को मिली परिजनों से मिलने की इजाजत
लंबे समय से कासगंज की पचलाना जिला जेल में सजा काट रहे अब्बास अंसारी को अपने पिता की कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ने की इजाजत मिल गई है। मुख्तार अंसारी की कब्र पर 10 अप्रैल को फातिहा पढ़ा जाएगा। जिसमें उसके बेटे अब्बास अंसारी को शामिल होने की अनुमति मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल और 12 अप्रैल को अब्बास अंसारी को अपने परिजनों से मिलने की इजाजत दे दी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को मीडिया से बात नहीं करने का निर्देश दिया। कासगंज की पचलाना जिला जेल में बंद होने की वजह से वह अपने पिता मुख्तार अंसारी के जनाजे में शामिल नहीं हो सका था। ऐसे में अब्बास अंसारी ने पिता की कब्र पर फातिहा पढ़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इजाजत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अब अब्बास को इजाजत दे दी है।
इस वजह से हुई थी मुख्तार अंसारी की मौत
बता दें, मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट के चलते 60 साल की उम्र में मौत हो गई थी। वह लंबे समय से उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। जेल में मुख्तार की तबीयत खराब हुई थी जिसके बाद उसको बांदा के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में मुख्तार को दुर्गावती हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। जिसके बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्तार अंसारी की मौत का कारण ‘मायोकार्डियल इंफार्क्शन’ था। मायोकार्डियल इंफार्क्शन को ही आमबोल की भाषा में हार्ट अटैक कहा जाता है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ था खुलासा
मुख्तार अंसारी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर बेसब्री से इंतजार भी किया जा रहा था क्योंकि रिपोर्ट को लेकर राजनीति भी गरमाई हुई थी। मुख्तार के परिजन दावा कर रहे थे कि मुख्तार अंसारी को खाने में स्लो पॉइजन यानी धीमा जहर दिया गया था। मुख्तार के बेटे उमर अंसारी ने तो अपने पिता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट एम्स के डॉक्टरों से कराने की मांग भी की थी। उसका कहना था कि उसे स्थानीय प्रशासन पर यकीन नहीं है। इसके लिए उमर ने बांदा जिले के डीएम को पत्र लिखा था। इतना ही नहीं, विपक्षी दलों ने भी ‘खाने में जहर’ की बात को काफी तूल दिया था।