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35 लाख की चीनी बंदरों ने खा ली या फिर घोटाला हुआ? जानें पूरा सच

Aligarh Sugar Mill: अलीगढ़ में चीनी मिल से गायब हुई 35 लाख की 1137 कुंटल चीनी का सच आखिर है क्या और आखिर क्यों बनाया गया चौकीदार को अकाउंटेंट… आइये जानते हैं पूरा मामला…
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Aligarh Sugar Mill: अलीगढ़ में चीनी मिल से गायब हुई 35 लाख की 1137 कुंटल चीनी का सच आखिर है क्या और आखिर क्यों बनाया गया चौकीदार को अकाउंटेंट… आइये जानते हैं पूरा मामला…

अलीगढ़ के चीनी मिल पर जांच करने पर चीनी मिल के गोदाम कीपर ने बताया कि कुछ चीनी बारिश में खराब हो गई और कुछ चीनी बंदर खा गये। अब सवाल ये उठता है कि 35 लाख की चीनी बंदर कैसे खा गये या चीनी मिल में घोटाला हुआ है, लेकिन इसका आरोपी है कौन, क्या केवल चीनी मिल का सहायक अकाउंटेंट या गोदाम कीपर इसका अरोपी है या चीनी मिल के बड़े अधिकारी भी इस चीनी घोटाले में शामिल हैं।

अलीगढ़ के चीनी मिल में अधिकारी विनोद कुमार सिंह ऑडिट करने आये और चीनी मिल घोटाले मे 6 लोगों को दोषी पाया, जिसमें चीनी मिल के प्रबंधक राहुल कुमार यादव, चीफ केमिस्ट एमके शर्मा, सुरक्षा अधिकारी दलबीर सिंह, चीफ अकाउंटेंट ओम प्रकाश, अकाउंटेंट महीपाल सिंह, गोदाम इंचार्ज गुलाब सिंह शामिल हैं और 2 संविदा कर्मचारियों को सस्पेंड कर एफ आई आर दर्ज कराई गई है।

मीडिया ने जब जांच की तो पता चला कि ये चीनी मिल अलीगढ़ से करीब 25 किमी दूर खैर बाईपास से होते हुए अलीगढ़ कासिमपुर रोड पर है, जहां थोड़ी दूर पर एक बड़ी सी फैक्ट्री दिखाई दी, जो कि अब कबाड़ में बदल गयी है। जांच करने के लिए चीनी मिल के ऑफिस पहुंचे, जहां पर काम कर रहे कुछ कर्मचारियों से मुलाकात की, लेकिन कोई भी कर्मचारी बात करने को तैयार नहीं था। सभी कर्मचारी डरे हुए थे। फिर हमें एक कमरे की ओर भेजा गया और बताया गया कि चीनी मिल के सबसे बड़े अधिकारी एमके शर्मा कमरे में बैठे हुए हैं, जो कि चीफ इंजीनियर के पद पर हैं। कुछ देर बातचीत के बाद एमके शर्मा हमें चीनी मिल दिखाने के लिए ले गये।

जब फैक्ट्री के पास गये तो फैक्ट्री का गेट बन्द मिला। चीनी मिल की देखरेख के लिए कुछ लोग दिखाई दिए। फैक्ट्री के अन्दर जाने पर चौकीदार महेंद्र सिंह से मुलाकात हुई। महेंद्र सिंह डंडा लेकर हमारे साथ अंदर गये तो देखा कि एक ओर बंद पड़ी फैक्ट्री में बन्दरों का आंतक फैला हुआ था तो दूसरी ओर जर्जर हुई मशीनें और टीन शेड दिखाई दिए, जो कभी भी गिर सकते थे।

फैक्ट्री के अंदर की हालत को देखकर ये साफ पता चल रहा था कि फैक्ट्री में जो मशीनें लगी हैं, वो किसी काम की नहीं हैं। यही वजह है कि सरकार ने चीनी मिल की देखभाल के लिए कुछ ही कर्मचारी को यहां लगाया है। उसके बाद हम एमके शर्मा के साथ चीनी गोदाम में पहुंचे, जहां हमें बताया गया कि चीनी को बंदर खा गये। जहां से चीनी गायब हुई, वो गोदाम नं0 -3 और नं0-4 में रखी गयी है।

गोदाम नं0-3 के गेट का शटर बंद होने के बाद भी इतनी जगह है कि बंदर अंदर घुस जाते हैं। एक बड़ी सी मशीन रखकर उस जगह को बंद किया गया है ओर पीछे के शटर के सामने पेड़ पत्ते और कांटो को रखकर वहां से भी बंदरों को जाने से रोकने की कोशिश हमें दिखायी दी। गोदाम कीपर के निलंबन के बाद से ही चीनी मिल बंद था।

यही हाल गोदाम नं0-4 का है। एमके शर्मा ने बताया कि गोदाम नं0-4 का छत इतना जर्जर है कि जिस कारण बारिश का पानी अंदर चला जाता है। फिर जब सवाल किया गया कि आखिर 1137 कुंटल चीनी क्या बंदर खा सकते है तो एमके शर्मा का कहना था कि मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है।

इसके बाद हम चीनी मिल के गोदाम कीपर गुलाब सिंह, सुरक्षा अधिकारी दलबीर सिंह और अकाउंटेंट महीपाल को खोजना शुरू किया तो पता चला कि महीपाल अपने परिवार के साथ फैक्ट्री से 2 किमी दूर फैक्ट्री कर्मचारी के लिए बने आवास में रहता है। पहले तो महीपाल ने बात करने से इनकार कर दिया, लेकिन बाद में समझाने पर मान गया। महीपाल ने बताया कि मुझे जानबूझकर फंसाया गया है। मेरे पास अकाउंटेंट का चार्ज है। चीनी को 2023 में अक्टूबर में खरीदा गया था। मेरे पास पूरा रिकॉर्ड मेंटेन है। इसके पैसे भी अकाउंट में जमा हैं। मैं बस इतना जानता हूँ कि ये एक दिन का काम नही है। ये सब पुराने टाइम से चला आ रहा है।

महीपाल पहले चौकीदार था, लेकिन महीपाल को 2015 में अकाउंटेंट सहित 6 विभागों का चार्ज दे दिया गया। उसके बाद जब महीपाल के बारे में हमने जानकारी जुटाई तो पता चला कि महीपाल को 7 दिसंबर 1999 को सीजनल चौकीदार के पद पर नियुक्त किया गया। जब महीपाल को 2015 में चौकीदार से असिस्टेंट अकाउंटेंट बनाया गया तब सीनियर योगेंद्र पाल शर्मा ने इसकी शिकायत किसान चीनी मिल संघ के प्रधान से की थी। ये शिकायत 28 जनवरी 2020 को की गई और 29 जनवरी 2020 को श्रम कल्याण अधिकारी को जांच के आदेश दिये गये।

जांच में पता चला कि अकाउंटेंट की पोस्ट के लिए बीकॉम की डिग्री चाहिए, जो कि योगेंद्र पाल शर्मा के पास नहीं थी और महीपाल ने जो डिग्री लगाई थी वो संदिग्ध थी। वो बस 12 वी पास था। महीपाल को अकाउंटेंट के सभी काम जैसे वेतन भुगतान, एडवांस, पार्टियों के बिल पास करने, टीए बिल, शीरा विक्रय, पीएफ, बिल चेक करना, वाउचर बनाने का काम सौंप दिया गया। साथ ही लेजर एंट्री का भी काम दिया गया।

अब देखने वाली बात ये है कि जब सभी काम एक ही व्यक्ति करेगा तो जानबूझ कर की गई गलती को कौन देखेगा, क्योंकि गलती करने वाला और चेक करने वाला इंसान तो एक ही व्यक्ति है, जो खुद ही अपना वेतन बढ़ाने की पावर रखता है, उस महीपाल ने 2018 से 2019 के बीच चीनी मिल से ओवरटाइम डयूटी के नाम पर 90 हजार रुपये लिये। जांच रिपोर्ट के बाद भी महीपाल सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस चीनी घोटाले का सबसे ज्यादा जिम्मेदार गोदाम कीपर गुलाब सिंह को बताया गया और अब गुलाब सिंह से मिलना जरूरी था। गुलाब सिंह के पास जो नंबर था, वो बंद था। चीनी मिल के कर्मचारियों ने बताया कि गुलाब सिंह फरार हो गया है। फिर उसके घर पर जाकर गुलाब सिंह से बात की गई तो गुलाब सिंह ने बताया कि इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।

गुलाब सिंह ने बताया कि 4 अप्रैल 2024 को ऑडिट होने के बाद ही मैंने 27 अप्रैल को चीफ इंजीनियर और चीफ केमिस्ट एमके शर्मा को एक पत्र लिखा था। उसके बाद एमके शर्मा ने इसे प्रधान प्रबंधक को कार्रवाई के लिए आगे बढा दिया। अब सवाल ये उठता कि जब 4 अप्रैल को ऑडिट हो चुका था तो 27 अप्रैल को पत्र भेजने की क्या जरूरत थी? इस पर गुलाब सिंह ने कहा कि मैने अपनी परेशानी से अधिकारियों को अवगत करा दिया था और अब कार्रवाई करना या न करना उनका काम है।फिर उसके बाद जब ऑडिटर विनोद कुमार सिंह से बात कि गई तो पता चला कि जब रूटीन अंतरिम ऑडिट किया गया, तब पता चला कि 1137 कुंटल चीनी गायब है ,और स्टॉक शून्य बताया गया।

अब सवाल ये उठता है कि पिछले साल भी ऑडिट किया गया था, तब ये चोरी क्यों नही पकड़ी गयी, तो फिर विनोद कुमार ने बताया कि साथा चीनी मिल 2022 फरवरी को बंद हो गई थी। चीनी का स्टॉक पहले से ही कम होता जा रहा था। जब तक स्टॉक था, तब तक कुछ पता नहीं चला, लेकिन जैसे ही स्टॉक कम हुआ, तब ये कमी पता चली।

विनोद कुमार ने बताया कि ऑडिट के दौरान यहां के कर्मचारियों ने मुझे जानबूझ कर कोई दस्तावेज नहीं दिये। आरजी-1 रजिस्टर जब मै अचानक पहुंचा, तब जाकर मिला, जिस कारण तुरंत गलती मिल गई और फिर उसके बाद मैंने अपने विभाग से तीन कर्मचारी की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर मुझे मैनपावर दी जाएगी तो मै साथा चीनी मिल के घोटाले का पता लगा सकता हूं, लेकिन मेरी ये बात किसी ने नहीं सुनी, लेकिन चीनी घोटाले से संबंधित जितने अधिकारी थे मैंने उन सब के नाम अपने ऑडिट रिपोर्ट में लिखा है।

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अब सवाल ये आता है कि चीनी घोटाले में 6 आरोपी हैं तो 2 आरोपी महीपाल और गुलाब सिंह पर क्यों एफ आई आर दर्ज कराई गई… इस बारे में प्रबंधक राहुल यादव से बात करने पर पता चला कि ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर इंटरनल कमेटी से जांच कराई गई, जिसमें महीपाल और गुलाब सिंह को आरोपी पाया गया और उन्हे निलंबित कर दिया गया।

चीफ केमिस्ट एमके शर्मा ने थाने में महीपाल और गुलाब के खिलाफ एफआई आर दर्ज कराई। ये दोनों प्रबंधक के नियुक्त कर्मचारी हैं। ऐसे में उन पर कार्रवाई करना मेरे अधिकार में है। बाकी कर्मचारी एमके शर्मा, दलबीर सिंह, ओम प्रकाश चीनी मिल संघ के नियुक्त कर्मचारी हैं, इन सभी के ऊपर चीनी मिल संघ के प्रधान प्रबंधक ही कार्रवाई कर सकते है। इनके ऊपर भी कार्रवाई चल रही है।

श्रम राज्यमंत्री ठाकुर रघुराज प्रताप सिंह ने चीनी मिल घोटाले के सामने आने के बाद 12 जून को सीएम योगी को पत्र भी लिखा है। इस पत्र में उन्होंने 35 लाख की गायब चीनी को गबन की श्रेणी में रखा है। राज्यमंत्री ने शीरा सप्लाई में भी गड़गबड़ी की आशंका जताते हुए विभागीय जांच कराने का अनुरोध किया है।


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