UP Madrasa Board Act 2024: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी बोर्ड के मदरसा एजुकेशन एक्ट को लेकर एक बड़ा फैसला दिया है। इस एक्ट को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। हाई कोर्ट का कहना है कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के विपरीत है। कोर्ट ने अपने फैसले में यूपी सरकार को निर्देश भी दिया है कि मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को बुनियादी शिक्षा के ढांचे में भी फिट किया जाए।
मदरसा बोर्ड की ‘शक्ति’ के खिलाफ फैसला
बता दें, यूपी सरकार ने अक्टूबर 2023 में मदरसे की जांच के लिए SIT का गठन किया था। एसआईटी का काम मदरसे में हो रही विदेशी फंडिंग की जांच करना है। यूपी बोर्ड के मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को अंशुमान सिंह राठौड़ और बाकी लोगों ने चुनौती दी थी। इसके लिए याचिका दायर की गई थी। याचिका में मदरसा बोर्ड की शक्तियों को चुनौती दी गई थी। साथ ही, मदरसे के मैनेजमेंट पर आपत्ति जताई गई थी।
बच्चों को औपचारिक शिक्षा से भी परिचित कराया जाए
मदरसों का प्रबंधन भारत सरकार, राज्य सरकार के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग करता है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने की। अब उत्तर प्रदेश सरकार के सामने मदरसों में पढ़ रहे बच्चों को बुनियादी शिक्षा सिस्टम में समायोजित करने का टास्क है।
मदरसा बोर्ड कर सकता है सुप्रीम कोर्ट का रुख
इस मामले पर मदरसा बोर्ड बोर्ड को विस्तृत आदेश का इंतजार है। इसके बाद ही वह फैसला करेंगे कि आगे क्या करना है। पूरी डिटेल आने के बाद ही मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर इफ्तिखार अहमद भी वकील की एक टीम तैयार करने की बात कह रही है। उनका कहना है कि यह 2 लाख बच्चों के भविष्य का मामला है इसलिए वह सुप्रीम कोर्ट का भी रुख कर सकते हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के करीब 15200 मदरसे प्रभावित हो सकते हैं। फिलहाल मदरसा बोर्ड के पास सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का विकल्प खुला हुआ है।