Bharat Bandh 2024: सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर के फैसले के खिलाफ बुधवार को कई संगठनों ने भारत बंद का एलान किया है। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुलाए गए ‘भारत बंद’ को अपना समर्थन दिया।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इन समूहों के लोगों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ गुस्सा और आक्रोश है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि बसपा भारत बंद का समर्थन करती है क्योंकि 1 अगस्त 2024 को SC/ST व क्रीमी लेयर के उपवर्गीकरण के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लोगों में गुस्सा व आक्रोश है, क्योंकि भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों द्वारा आरक्षण के खिलाफ साजिश और मिलीभगत करके इसे अप्रभावी बनाकर समाप्त करने की साजिश की जा रही है।
आरक्षण में किये गये बदलावों को खत्म करने की मांग
मायावती ने पोस्ट में आगे कहा कि इस सम्बन्ध में इन वर्गों के लोगों ने आज ‘भारत बंद’ के तहत सरकार को ज्ञापन दिया है और संविधान संशोधन आदि के माध्यम से आरक्षण में किये गये बदलावों को समाप्त करने की पुरजोर मांग की है, जिसे बिना किसी हिंसा के अनुशासित व शांतिपूर्ण तरीके से करने की अपील की गई है।
मायावती ने कही ये बात
मायावती ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों को SC/ST के साथ-साथ ओबीसी समुदाय को दिये गये आरक्षण के संवैधानिक अधिकार की आवश्यकता को समझना चाहिए।
उन्होंने कहा कि SC/ST के साथ-साथ OBC समुदाय को दिया गया आरक्षण का संवैधानिक अधिकार इन वर्गों के सच्चे मसीहा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के निरंतर संघर्ष का परिणाम है। भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों को इसकी आवश्यकता और संवेदनशीलता को समझना चाहिए और इसके साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
बता दें, ‘आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति’ आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का विरोध करने के लिए आज एक दिवसीय भारत बंद का आयोजन कर रही है। दरअसल, देश की सबसे बड़ी अदालत ने 1 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि राज्यों के पास एससी और एसटी को उप-वर्गीकृत करने की शक्ति है।
सर्वोच्च न्यायालय के 7 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि अब अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण, अनुसूचित जाति श्रेणियों के भीतर अधिक पिछड़े लोगों के लिए अलग से कोटा प्रदान करना स्वीकार्य होगा।
कोर्ट ने कहा कि अब राज्य सरकार पिछड़े लोगों में भी अधिक जरूरतमंदों को फायदा देने के लिए सब कैटेगरी बना सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि उप-वर्गीकरण (सब कैटेगरी) की अनुमति देते समय राज्य किसी उप-श्रेणी के लिए 100 फीसद आरक्षण निर्धारित नहीं कर सकता।
साथ ही, राज्य को उप-श्रेणी के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के संबंध में अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर उप-वर्गीकरण को उचित ठहराना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘हालांकि आरक्षण के बावजूद निचले तबके के लोगों को अपना पेशा छोड़ने में कठिनाई होती है। इस सब-कैटेगरी का आधार यह है कि एक बड़े समूह में से एक ग्रुप को अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।’
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CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कही थी ये बात
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि ‘यहां छह मत हैं। हम में से ज्यादातर ने ईवी चिन्नैया के मत को ख़ारिज कर दिया है और हमारा मानना है कि सब-कैटेगरी (कोटा के अंदर कोटे) की अनुमति है। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस पर असहमति जताई है।’
फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा, ‘एससी/एसटी वर्ग के लोग अक्सर व्यवस्थागत भेदभाव के कारण आगे नहीं बढ़ पाते हैं। एक वर्ग जिस संघर्ष का सामना करता है, वह निचले ग्रेड में मिलने वाले प्रतिनिधित्व से खत्म नहीं हो जाता है।’