Bharat Bandh 2024: सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर के फैसले के खिलाफ बुधवार को कई संगठनों ने भारत बंद का एलान किया है। इसी बीच आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने ‘भारत बंद’ को अपना समर्थन दिया।
चंद्रशेखर आजाद ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “आज का ये जनआंदोलन केन्द्र व राज्य सरकारों के लिये स्पष्ट सन्देश है कि अब बहुजन समाज ‘फूट डालो राज करो’ की साजिश को कामयाब नहीं होने देगा। एक तरफ SC-ST में क्रीमीलेयर खोजते हो दूसरी तरफ हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में हमारे जजों को गायब कर देते हों, NFS बताकर आरक्षित वर्ग की सीटें खाली छोड़ देते हो, एकल पद बताकर आरक्षण खत्म कर देते हो और अब हमें आपस में लड़ाने की साजिश भी करते हो।”
‘हमारा हक अब देना ही होगा’
चंद्रशेखर ने कहा, “कान खोलकर सुन लो आरक्षण और संविधान विरोधियों, धन-धरती और राजपाट में संख्याबल के आधार पर जो हमारा हक बैठता है, अब वो देना ही होगा। मैंने संसद में ललकारा था, आज समाज सड़कों पर ललकार रहा है। बहुत हुआ, अब बहुजनों के अधिकारों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी तरह का हमला हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
‘सरकार अगर साजिश करेगी तो उसको अपनी कुर्सी गंवानी पड़ेगी’
आजाद समाज पार्टी के प्रमुख ने कहा, “मैं राज्य सरकारों से भी कहना चाहता हूं कि आज बहुजन समाज अपने अधिकारों के लिये मजबूर होकर सड़कों पर आया है, तो राज्य सरकारें भी कानून व्यवस्था मजबूत कर, शांतिपूर्वक आंदोलन में मदद करें। कोई भी सरकार अगर हमारे साथ साजिश करेगी तो उसको भविष्य में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ेगी। मेरे यह शब्द याद रखना। जय भीम, जय भारत, जय मंडल, जय जोहर, जय संविधान।”
‘शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार है’
वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुलाए गए ‘भारत बंद’ को अपना समर्थन दिया। सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “आरक्षण की रक्षा के लिए जन आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है। यह शोषितों और वंचितों में नई चेतना पैदा करेगा और आरक्षण के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ के खिलाफ जनशक्ति का कवच साबित होगा। शांतिपूर्ण आंदोलन एक लोकतांत्रिक अधिकार है।”
SC/ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद को BSP का समर्थन
क्या है भारत बंद का कारण?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया था, जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के बीच में ही अलग-अलग श्रेणियां बनाने की राज्य सरकारों को मंजूरी दी थी। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण का सबसे अधिक फायदा जरूरतमंदों को मिलना चाहिए।
कोर्ट के इसी फैसले से नाराज होकर दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) ने भारत बंद की घोषणा की है। कोर्ट के इस फैसले को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया गया था। साथ ही लोग इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
ये हैं NACDAOR की मांगें
- नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (NACDAOR) ने कोटे के भीतर कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध जताया है। साथ ही मांगों की एक लिस्ट भी जारी की है, जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग की गई है।
- संगठन SC, ST और OBC के लिए आरक्षण पर संसद के एक नए अधिनियम के अधिनियमन की भी मांग कर रहा है, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करके संरक्षित किया जाएगा।
- NACDAOR ने सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति-आधारित डेटा को तत्काल जारी करने की भी मांग की है, ताकि उनका सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
- समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना हो, जिसका लक्ष्य हायर ज्यूडिशियरी में SC, ST और OBC श्रेणियों से 50 फीसदी प्रतिनिधित्व लेना हो।