Digital Attendance: उत्तर प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की Digital Attendance लगाने का आदेश आज से लागू हो गया। Digital Attendance के लिए शिक्षक पहले से ही विरोध कर रहे हैं, जिनमें से कुछ शिक्षकों ने सोमवार को काली पट्टी बांधकर काम करने और 15 जुलाई को जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, महिला शिक्षकों ने विरोध करते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को पत्र लिखा है।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ और विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने Digital Attendance को काला कानून कहा है। शिक्षकों के विरोध के कारण बेसिक शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन अटेंडेंस लगाने का समय सुबह 7.45 से 8 बजे तक करके राहत दी है।
इसके साथ ही, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से संबंधित अधिकारियों को बताया गया है कि Digital Attendance लगाने के लिए शिक्षक को 30 मिनट का अधिक यानी 8.30 बजे तक का समय दिया गया है, लेकिन उन्हें देर से आने का कारण बताना होगा। हालांकि, शिक्षक बात से संतुष्ट नही हैं।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी का कहना है कि सभी ने एक साथ इसका विरोध किया है। इस पूरे मामले में हम आज डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजेंगे। इसके साथ ही शिक्षकों की EL, CL और हाफ डे जैसी मांगों को पूरा करने की बात कहेंगे।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा ने 11 और 12 जुलाई को ब्लॉक स्तर पर शिक्षकों के साथ बैठक कर उनकी राय जानने के बाद ही आगे के प्रदर्शन का ऐलान करने का फैसला किया है।
पिछले साल से ही परिषदीय स्कूलों में ब्लॉक, कर्मचारियों और छात्रों की Digital Attendance सहित एक दर्जन रजिस्टर को डिजिटल करने की बात चल रही है। पिछले साल ही शिक्षकों के विरोध के कारण ये संभव नहीं हो पाया है। इस बार सत्र के साथ ही छात्रों की उपस्थिति डिजिटल करा दी गई है।
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शिक्षकों और कर्मचारियों को 15 जुलाई से फेस रिकग्निशन के माध्यम से Digital Attendance लगाने के लिए निर्देश दिये गये थे। फिर अचानक से ही 8 जुलाई से उनकी उपस्थिति भी डिजिटल कराने का आदेश जारी कर दिया गया। बरसात के कारण खराब रास्ते, स्कूल में जलभराव जैसी परेशानियों के कारण शिक्षक रियायत देने की मांग कर रहे हैं।
रविवार को सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने Digital Attendance के खिलाफ अभियान चलाया। दोपहर तक साढ़े तीन लाख से अधिक शिक्षकों ने इसे शेयर किया है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इस व्यवस्था को निरस्त करने की मांग की है।