Dhirendra Shastri: हाथरस हादसे ने जहां अपने पीछे दुखों के पहाड़े छोड़ दिया है। वहीं, इस हादसे ने धर्मगुरूओं को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। हाथरस में मची भगदड़ के बाद बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री और मथुरा के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने बड़ा ऐलान किया है।
हाथरस हादसे के बाद जहां पुलिस मामले की जांच में जुटी है, तो इस हादसे ने बहुत कुछ बदल दिया है। सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौत के बाद भीड़ से घिरे रहने वाले कई धर्मगुरू बदले-बदले नजर आ रहे है। दरअसल, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हादसे के बाद एक बड़े कार्यक्रम को रद्द कर दिया। इस कार्यक्रम में भी लाखों की संख्या में लोगों के आने की उम्मीद थी। इस बात की जानकारी देते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने एक्स पर अपना एक वीडियो पोस्ट किया। शास्त्री ने कहा कि लोगों की सुरक्षा को देखते हुए रखते मेरा यही निवेदन है कि जो जहां हैं वहीं से उत्सव को मनाएं। घर बैठकर ही हनुमान चालीसा और वृक्षारोपण कर उत्सव मनाएं।
वहीं, मथुरा में हाथरस हादसे के बाद प्रेमानंद महाराज ने मथुरा में अपनी रात की पदयात्रा को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। श्रीहित राधा केली कुंज परिकर की ओर से जारी लेटर में लिखा- हाथरस में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना बहुत ही हृदय विदारक और अत्यंत दुःखद है, जिसमें हम सबकी गहन सवेदनाएं परिजनों के साथ हैं, भविष्य में ऐसी कोई भी घटना ना घटे ऐसी ठाकुर जी के चरणों में प्रार्थना है। इस घटना से सावधानी बरतते हुए पूज्य महाराज जी, जो पद यात्रा करते हुए रात्रि 02:15 बजे से श्री हित राधा केलि कुंज जाते थे, जिसमें सब दर्शन पाते थे, वो अनिश्चित काल के लिए बंद किया जाता है। कृपया कोई भी श्रद्धालु रात्रि में रास्ते में दर्शन हेतु खड़े ना हों, ना ही रास्ते में किसी प्रकार की भीड़ लगाएं।
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आपको बता दें कि संत प्रेमानंद महाराज रात 2:30 बजे श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी से रमणरेती स्थिति आश्रम हित राधा केली कुंज के लिए निकलते हैं। 2 किलोमीटर पैदल चलकर जाते हैं। इस दौरान उनके हजारों अनुयायी एक झलक पाने को गर्मी, बारिश, सर्दी में सड़क के दोनों ओर पलक पांवड़े बिछाए खड़े रहते हैं। रात में जब संत प्रेमानंद महाराज आश्रम के लिए निकलते हैं, तब उनके अनुयायी रास्ते भर फूलों से रंगोली बनाते हैं। निवास से लेकर आश्रम तक का रास्ता फूलों से पट जाता है। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं हर कोई एक झलक पाने को उनका इंतजार करता है। जगह-जगह उनकी आरती उतारी जाती है।
बहरहाल, हादसे के बाद धर्मगुरू किसी तरह के बड़े आयोजन से बच रहे है, ताकि भीड़ इक्ट्ठा न हो और किसी तरह ही अनहोनी से बचा जा सकें।
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