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भोले बाबा दान नहीं लेता, पर है 100 करोड़ का मालिक; आखिर कैसे?

Hathras Stampede Accident: भोले बाबा के पास 100 करोड़ से भी ज्यादा की जमीन और आश्रम है। उनके पास कुल 21 बीघा जमीन है, जिसकी कीमत 4 करोड़ रुपये हैं। भोले बाबा के काफिले में करीब 25 से 30 लग्जरी कारें चलती हैं। भोले बाबा खुद फॉर्च्यूनर से चलता है। बाबा के ये सेवादार बाबा की सुरक्षा में हमेशा शामिल रहते हैं।
Hathras Stampede Accident | Bhole Baba | Shreshth uttar Pradesh |

Hathras Stampede Accident: भोले बाबा का नाम सूरज पाल है। उसका मुख्य आश्रम उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के बिछुआ में है। जब भी यूपी में कोई भी कार्यक्रम होता है, बाबा वहीं से जाता है। बाबा का ये आश्रम 3 साल पहले ही बना है। बाबा का ये आश्रम 21 बीघे में फैला हुआ है। ये सभी आश्रम ट्रस्ट के नाम पर है। इस ट्रस्ट का नाम राम कुटीर चैरिटेबल के नाम से है। इस बड़े से आलीशान आश्रम में 80 व्यक्ति सेवादार हैं, जो कि यहां बिना पैसे के काम करते हैं। कुछ लोग खाना बनाते हैं, कुछ गेट पर खड़े रहते हैं और कुछ सफाई का काम करते हैं। इस आश्रम में से 6 बड़े कमरे उसकी पत्नी के लिए रिजर्व रहते हैं, जहां बिना परमिशन के कोई नहीं आ सकता। इस आश्रम के मेन गेट के बाहर इस आश्रम के निर्माण में दान देने वाले 200 लोगों के नाम लिखे गये हैं। इस निर्माण में सबसे अधिक ढाई लाख और सबसे कम 10 हजार रुपये के दान दिए गए हैं। इन सब चीजों के बावजूद बाबा का कहना है कि वो किसी से एक भी पैसे दान में नही लेते हैं।

भोले बाबा के पास है 100 करोड़ से भी ज्यादा की जमीन

भोले बाबा के पास 100 करोड़ से भी ज्यादा की जमीन और आश्रम है। उनके पास कुल 21 बीघा जमीन है, जिसकी कीमत 4 करोड़ रुपये हैं। भोले बाबा के काफिले में करीब 25 से 30 लग्जरी कारें चलती हैं। भोले बाबा खुद फॉर्च्यूनर से चलता है। बाबा के ये सेवादार बाबा की सुरक्षा में हमेशा शामिल रहते हैं। बाबा को पुलिस प्रशासन पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। वो जहां भी जाता है, उसके अपने सेवादार उसके साथ हमेशा रहते हैं। बाबा की इस आर्मी फौज में भर्ती के लिए लोगों को आवेदन भी करना होता है। ये सेवादार गुलाबी रंग की ड्रेस पहनते हैं।

बाबा के एक और आश्रम कानपुर में है, जो 14 बीघा में फैला हुआ है। बाबा के इस आश्रम का आसपास के गांव में इतना ज्यादा खौफ है कि गांव के लोग वहां से निकल भी नहीं सकते हैं। इस आश्रम का भवन 3 बीघे में है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कसुई गांव के गोरे लाल से जब बात की गई तो पता चला कि इस आश्रम में करीब 10 सेवादार काम करते हैं, जो आश्रम में रहकर पूजा-पाठ करते हैं। वहीं, कसुई गांव के विजय ने बताया कि इस आश्रम की देखरेख वे खुद ही करते हैं। वे कमेटी में संरक्षक के पद पर हैं। आश्रम के अंदर वीवीआईपी की व्यवस्था भी है। अनिल तोमर आश्रम के अध्यक्ष हैं।

कसुई गांव के रहने वाले अशोक कुमार ने बताया कि आश्रम के आगे से ही उनके खेत में जाने का रास्ता है। जब आश्रम बनकर तैयार हो रहा था, तब उन्हें लगा कि उनके आने जाने का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन उन्हें क्या पता था कि आश्रम का काम करने वाले सेवादार उन्हें वहां से जाने नहीं देंगे। जब भी वो खेत में जाने के लिए आश्रम से गुजरते हैं, तो वहां के सेवादार उन्हें वहां से जाने नहीं देते हैं। कई बार मारपीट के कारण मामला थाने तक भी जा चुका है, लेकिन यहां की पुलिस हमेशा आश्रम के लोगों का पक्ष लेती है, क्योंकि कई थाना प्रभारी और पुलिस कर्मियों का आश्रम से ही टिफिन जाता था, जिस कारण गांव के लोगों के अंदर डर बना हुआ है।

बाबा का एक आलीशान आश्रम नोएडा में डूब स्थित सेक्टर-87 इलाबांस में भी स्थित है। लोगों ने बताया कि वो बहुत समय से यहां आया नहीं है। इटावा में गांव के सराय भूपत के कटे खेड़ा गांव में बाबा का आश्रम खुला हुआ है। ये आश्रम 15 बीघा में बना हुआ है। इस आश्रम को गांव वालों ने मिलकर बनाया है,जिसमें कई कमरे,बड़ा हॉल और आश्रम मंच बना हुआ है। आश्रम के बाहर खाली जगह लोगों के बैठने के लिए बना हुआ है।

बाबा के पैतृक गांव बहादुर नगर पटियाली में उनका भव्य आश्रम है। ये बाबा का पहला आश्रम है। बाबा के साम्राज्य की यहीं से शुरुआत हुई। ये आश्रम हरि चेरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर है। ये आश्रम भी कई बीघा जमीन पर बना हुआ है।

भोले बाबा के पास कासगंज के पटियाली और मैनपुरी के बिछुआ समेत करीब 25 आश्रम हैं। हर जिले में बाबा ने एक ट्रस्ट बना रखा है। इसके साथ ही एक कमेटी भी है। उस कमेटी का नाम हम कमेटी है। अगर किसी को सत्संग कराना होता है तो वो पहले उसके जिले के कमेटी से संपर्क करता है। मैनपुरी के हम कमेटी से जुड़े कलेक्टर सिंह से बात हुई तो पता चला कि संत्सग के लिए आम लोगों से चंदा नहीं लिया जाता है, बल्कि जो कमेटी में होता है, वही पूरा खर्चा देता है। कमेटी पहले सब कुछ समझ लेती है, उसके बाद पर्ची बाबा के पास जाती है और फिर बाबा के हां कहने पर ही तैयारी शुरू की जाती है,फिर हम पूरी व्यवस्था देखते हैं। उन्होंने बताया कि बाबा कोई भी दान नहीं लेते हैं।

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भोले बाबा के भक्त केवल आम आदमी ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े अधिकारी भी हैं। वहां के रहने वाले लोग बताते है कि यहां अधिकतर बड़ी-बड़ी गाड़ियों से लोग आते थे, लेकिन सरकारी नौकरी के चलते ये लोग अपना नाम दान लिस्ट में नहीं लिखवाना चाहते हैं। वो गुप्त दान देते हैं। बिना दान के इतना बड़ा आश्रम कैसे बन सकता है।

भोले बाबा के हाथरस सत्संग में हुई भगदड़ के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई, लेकिन एफआईआर में भोले बाबा का नाम तक नहीं है। इस घटना के बाद से ही भोले बाबा गायब हैं। बाबा के मैनपुरी आश्रम के बाहर 50 से भी ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं।


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