उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग हुआ, लेकिन अब ये मौत का ‘सत्संग’ हो चला है। सत्संग की वजह से 100 से ज्यादा लाशें यहां से उठी। खुद को खुदा बताने वाले नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा को मौत का जिम्मेदार बताया जा रहा है। मौके पर मौजूद लोगों का दावा है कि बाबा की चरणों की धूल लेने के लिए लोग उनकी ओर बढ़े। देखते ही देखते लोग जमीन पर गिरने लगे और जिंदा लोग मृतक हो गए। किसी ने अपनी मां को खो दिया तो किसी ने अपनी बहन को खो दिया।
हाथरस के रहने वाले एक भाई की आंखों में आंसू थे। भीड़ के बीच अपनी जिंदा बहन को देखने की एक उम्मीद। उम्मीद इस रक्षाबंधन पर अपने हाथों पर राखी बांधने की, लेकिन ये उम्मीद जल्द ही खत्म हो गई, जब उसने अपनी बहन की लाश को देखा। ये कोई कहानी नहीं है ये वो सच्चाई है, जो 100 से ज्यादा परिवारों के साथ हुई है।
इस दर्दनाक हादसे के बाद से नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा चर्चा में आ गए हैं। एक के बाद एक करके बाबा के रहस्यों का खुलासा हो रहा है। इसी कड़ी में बाबा से जुड़ी एक और खबर सामने आई है। नारायण साकार हरि का असली नाम सूरजपाल सिंह जाटव है। उनके खिलाफ आगरा में साल 2000 में केस दर्ज हुआ था। जानकारी के मुताबिक, मुर्दे में जान फूंकने वाले ‘चमत्कार’ का झूठा दावा करने के आरोप में बाबा को गिरफ्तार भी किया गया था। उस दौरान पुलिस ने बाबा के फॉलोअर्स पर लाठी चार्ज भी किया था। तब से लेकर अब तक भोले बाबा आगरा में अपने आश्रम नहीं आए हैं।
सूरजपाल सिंह की शादी के बाद नहीं हुई कोई संतान तो…
जानकारी के मुताबिक, नारायण साकार विश्व हरि उर्फ सूरजपाल सिंह ग्राम बहादुर नगर थाना पटियाली जनपद कासगंज के मूल निवासी हैं। कथित गुरुजी सूरजपाल पुलिस में सिपाही पद पर भर्ती होने के बाद आगरा में भी पुलिस विभाग में कई वर्षों तक तैनात रहे। सूरजपाल सिंह की शादी दरियावगंज कोटिया गांव की निवासी प्रेमादेवी से हुई थी। शादी के बाद दोनों की कोई संतान नहीं हुई। नारायण साकार विश्व हरि ने बाबा बनने से पहले अपने भाई की बेटी को गोद लिया था, लेकिन कुछ समय बाद पता चला कि गोद ली बच्ची को कैंसर था।
‘मुर्दे को भी जिंदा कर सकते हैं बाबा’
वहीं, नारायण साकार हरि ने आध्यात्म विचारधारा का सहारा लेकर शाहगंज क्षेत्र के अंतर्गत केदार नगर में अपना एक आश्रम तैयार किया, जहां भोले बाबा के भक्तों ने इनको गुरु के तौर पर स्वीकार करते हुए सर माथे पर लिया। जब एक दिन बच्ची अचानक बेहोश हो गई तो बाबा के फॉलोअर्स को लगा कि बाबा बच्ची को ठीक कर देंगे। जैसे ही बाबा ने बच्ची को हिलाया-डुलाया, कुछ ही देर में बच्ची होश में आ गई। इससे बाबा के भक्तों को लगने लगा कि बाबा चमत्कारी हैं। वह अपने चमत्कार से से मरे हुए को भी जिंदा कर सकते हैं।
इस मामले में हुए गिरफ्तार
हालांकि, बच्ची के होश में आने के थोड़ी देर बाद ही उसकी मौत हो गई। वहीं, जब बच्ची के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया गया, तो बाबा के भक्त इस बात पर अड़ गए कि बाबा वापस से बच्ची को जिंदा कर देंगे। आलम यह हो गया कि पुलिस को बाबा के फॉलोअर्स पर लाठी चार्ज करना पड़ा, जबकि पुलिस ने भोले बाबा को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने औषधि और जादुई उपचार अधिनियम 1954 के तहत मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन सबूत न मिलने पर कोर्ट ने सूरजपाल समेत 7 लोगों को बरी कर दिया था।