हार्ट अटैक के कारण इंसानों की मौत होना आम बात है, लेकिन अब इस बीमारी का शिकार तेंदुए भी हो रहे हैं। दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) में एक तेंदुए की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि छह माह के तेंदुए की मौत कार्डियक शॉक के कारण हुई है। वन विभाग की ओर से किए गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, तेंदुए के दिल में खून का थक्का जमा मिला। इस बात की पु्ष्टि के लिए कि तेंदुए की मौत कार्डियक शॉक के कारण हुई है, वन विभाग की टीम ने छह माह के शावक का बिसरा IVRI (Indian Veterinary Research Institute) बरेली को भेजा है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुरी खीरी और बहराइच जिले में फैला दुधवा टाइगर रिजर्व और कतर्निया घाट (Katarniaghat Wildlife) जंगल के बीच तेंदुओं की आवाजाही रहती है। मिली जानकारी के मुताबिक, 28 जून को कतर्निया घाट के बफर जोन की धौरहरा रेंज में एक छह माह के शावक का शव मिला था। तेंदुए के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं था, जिसके बाद मौत की वजह जानने के लिए तेंदुए का पोस्टमार्टम कराया गया। छह माह के शावक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने के बाद दुधवा टाइगर रिजर्व के अधिकारी हैरान रह गए, क्योंकि शावक की मौत कार्डियक शॉक की वजह से हुई। उसके हदय में खून के थक्के मिले।
दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक ललित वर्मा के मुताबिक, छह माह के शावक के हदय में खून के थक्के मिले, जिससे पता चलता है कि तेंदुए की मौत दिल की बीमारी की वजह से हुई है। पशु चिकित्सकों ने मौत की वजह कार्डियक शॉक बताई है। पशु चिकित्सकों के मुताबिक, ऐसा पहली बार देखा गया है कि जब किसी तेंदुए की मौत कार्डियक शॉक के कारण हुई है। इस बारे में ओर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए शावक का बिसरा IVRI बरेली को भेजा गया है।
वहीं, अब आईवीआरआई यह जानने की कोशिश करेगा कि तेंदुए को दिल की बीमारी क्यों हुई। इससे पहले भी एक तेंदुए की शरीर में पानी की कमी के कारण मौत हो गई थी। एक के बाद एक तेंदुए की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर ऐसी क्या वजह है जिसके कारण इतनी कम उम्र में तेंदुए को ऐसे रोग लग रहे हैं और मौत का शिकार हो रहे हैं।
बता दें, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य को 1987 में प्रोजेक्ट टाइगर के हिस्से के रूप में दुधवा टाइगर रिजर्व के रूप में नामित किया गया था। कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 2000 में जोड़ा गया था। यह भारत के 53 टाइगर रिजर्व में से एक है