यूपी और उत्तराखंड के कांवड़ यात्रा रूट वाले जिलों में खाने-पीने और फल की दुकानों पर दुकानदारों से अपने नाम का बोर्ड टांगने को कहा गया है। इस आदेश के बाद से ही सियासत शुरू हो गई है। जहां एक तरफ सियासी दल इसका विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर इस्लामिक संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने इस फैसले का समर्थन किया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा के मार्ग पर ढाबा संचालकों, फल विक्रेताओं और अन्य स्टॉल मालिकों के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा जो एडवाइजरी जारी की गई है उस पर राजनीति करना गलत बात है, क्योंकि पुलिस की एडवाइजरी कानून व्यवस्था के लिए है। यह एक धार्मिक यात्रा है और पुलिस ने यह व्यवस्था इसलिए लागू की है ताकि इसमें हिंदू-मुस्लिम विवाद न हो।
दूसरी ओर इस मामले पर देवबंद की तरफ से भी बड़ा बयान सामने आया है। देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी के मुताबिक, इससे दूरियां पैदा होगी और जो फिरका परस्त लोग हैं, उन्हें मौका मिलेगा। वह दुकानों में हिंदू-मुस्लिम कर सकें। उसको फसाद करने में आसानी होगी। मुफ्ती का कहना है कि आपने अक्सर देखा होगा कि हर साल हिंदू मजहब के लोग कांवड़ यात्रा लेकर जाते हैं तो मुस्लिम कावड़ियों के लिए कैम्प लगते हैं। उनके लिए खाने और पीने का इंतजाम और उनपर पुष्प वर्षा भी करते हैं। ऐसे में इस फैसले से कहीं न कहीं आपस में दूरियां पैदा होंगी। इसके साथ ही मुफ्ती ने सीएम योगी आदित्यनाथ से इस फैसले पर फिर से गौर करने की अपील की है।