Digital Arrest In Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बार फिर महिला डॉक्टर के साथ साइबर ठगी का मामला सामने आया है। इस बीच सबसे ज्यादा लखनऊ के डॉक्टर साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं। इससे पहले भी लखनऊ के ही पीजीआई की डॉक्टर रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट किया गया था।
वहीं, डॉक्टर रुचिका टंडन के बाद मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डॉ रूबी थॉमस और डॉ सात्विक राठौर को साइबर ठगी का शिकार बनाया गया। रूबी थॉमस पोर्ट ब्लेयर अंडमान व निकोबार की रहने वाली हैं।
महिला डॉक्टर के साथ कैसे की साइबर ठगी
पीड़िता ने बताया कि 16 अगस्त की शाम को करीब 5 बजे मेरे पास एक कॉल आई थी। कॉल पर किसी महिला की आवाज थी। उसने बोला कि आप के आधार कार्ड से एक नंबर जारी हुआ है। इस नंबर पर मुंबई में धोखाधड़ी की FIR दर्ज की गई है। इसके बाद महिला ने बताया कि आप की कॉल को पुलिस से कनेक्ट किया जा रहा है। पुलिस की वर्दी में एक आदमी सामने आया और मेरा आधार नंबर पूछने लगा, जब मैने नंबर बताया तो उसने बोला कि आप के इस आधार नंबर पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से अरेस्ट वॉरेंट जारी किया गया है।
अरेस्ट करने की धमकी दी
पीड़िता ने बताया कि उसने बोला आप का नाम नरेश गोयल के साथ मनी लॉन्ड्रिंग में जुड़ा हुआ है। आपने मनी लॉन्ड्रिंग में करोड़ों की ठगी की है। मैंने उसे बोला कि मैं किसी नरेश गोयल को नही जानती हूं और न ही उसका नाम कभी सुना है। इसके बाद पुलिस वाले ने बोला कि अब आप से हमारे सीनियर सीबीआई ऑफिसर बात करेंगे। उन्होंने बोला कि ये नेशनल सिक्योरिटी से जुड़ा मामला है। आपको हमारा साथ देना होगा। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो हमें आपको तुरंत अरेस्ट करना होगा।
वीडियो कॉल के जरिए धमकाया
पीड़िता ने बताया कि इसके बाद उसने बोला कि आप एक ऐसे कमरे में जाए, जहां कोई न हो। हम आपसे अकेले में बात करेंगे। डॉ रूबी ने बताया कि कुछ देर बाद एक वीडियो कॉल आई। वीडियो कॉल पर कोई दिखाई नहीं दिया। बस पीछे मुंबई पुलिस का लोगो दिखाई दिया और पीछे से आवाज आ रही थी कि रूबी थॉमस कॉल पर हैं। इन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस है, फिर दूसरा व्यक्ति बोला कि इसको जल्दी से अरेस्ट करो।
वीडियो कॉल पर पीछे से ऐसे आवाज आ रही थी कि जैसे कोई सच में सीबीआई का ऑफिस हो, ऐसा लगा जैसे मुझे कभी भी अरेस्ट कर लेंगे। फिर इसी दौरान पहले वाले व्यक्ति ने बोला कि ये लड़की तो कह रही है कि मैं निर्दोष हूं। फिर एक आवाज आई। सभी क्रिमिनल ऐसे ही बोलते हैं कि मैं निर्दोष हूं।
सीबीआई ऑफिसर बनकर की बात
सीबीआई ने मुझसे बात की और वीडियो कॉल पर मेरे पूरे कमरे को चेक किया। उसने अरेस्ट वॉरेंट, नरेश गोयल से जुड़े सारे डाक्यूमेंट और नेशनल सिक्योरिटी से होने वाली सजा की सारी जानकारी वाले डाक्यूमेंट मेरे वाट्सएप पर भेजे। मुझे यकीन दिलाने के लिए अपना आईडी कार्ड भी भेजा। वो आईकार्ड मुंबई पुलिस द्वारा जारी किया गया था। उस आईडी पर प्रदीप सावंत नाम लिखा था।
फिर उसने सारे डाक्यूमेंट पढ़वाए और कहा कि नरेश गोयल बहुत ही खतरनाक इंटरनेशनल ठग है। वो आपके घर वालों को भी मरवा सकता है। नरेश गोयल की पहुंच बहुत ऊपर तक है। आप पुलिस से भी कोई भी संपर्क मत कीजिएगा। पुलिस भी उससे मिली हुई है। आप नरेश गोयल से मिलने भी आई थीं। पैसे लेने के लिए उसका भी सबूत हमारे पास है और हमें ये भी पता है कि आपको नरेश गोयल से विवाद में गोली भी लगी।
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पीड़िता ने बताया कि मैं बहुत डर गयी थी और रोने लगी तो उसने कहा कि मैं आपको बचा सकता हूं, लेकिन उसके लिए आपको अपने सारे अकाउंट के पैसे मेरे अकाउंट में भेजने होंगे। इसके बाद मैंने अपने अकाउंट से 90 हजार रुपये उसे दे दिए। पैसे भेजने के बाद सीबीआई अधिकारी ने कहा कि ये पोर्ट ब्लेयर अंडमान व निकोबार कहां है, जिसके बाद मुझे थोड़ा शक हुआ कि इतना बड़ा अधिकारी होने के बाद भी उसको ये नहीं पता है, उसने अपना नाम प्रदीप सावंत बताया, लेकिन उसकी भाषा राजस्थानी लग रही थी।
वीडियो कॉल के जरिए फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए दिया दबाव
पीड़िता ने बताया कि उसने ऐसी बात बोली तो मैं शाॅक रहं गयी। उसने बोला कि आपको इस बात का सबूत देना होगा कि नरेश गोयल से विवाद के दौरान आपको गोली नहीं लगी। मैं वीडियो काॅल पर फिजिकल वेरिफिकेशन करूंगा। मैंने उसे कहा कि लेडी कांस्टेबल भेजो फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए, लेकिन वो लगातार मुझ पर दबाव बना रहा था, जिसके बाद मैंने उससे बोला कि अगर मुझ पर आपने ज्यादा दबाव बनाया तो मैं सुसाइड कर लूंगी, उसने ये सुनते ही तुरंत कॉल काट दी।
साइबर सेल में की शिकायत
पीड़िता ने बताया कि फोन कटने के बाद मैंने अपने दोस्तों को इस घटना की जानकारी दी, जिसके बाद हमने हजरतगंज के साइबर सेल में इसकी शिकायत की। विभूति खंड थाने में मुकदमा दर्ज कराया। थाने पर मुझे पता चला कि ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई डॉक्टरों के साथ ऐसा हो चुका है।