होली में अब कुछ ही दिन बचे है। होली त्योहार को लेकर इन दिनों लखनऊ के बाजारों में चांदी की पिचकारी और बाल्टी खरीदने की भीड़ देखने को मिल रही है। लोग होली से पहले ही अपनी पसंद की चांदी की पिचकारी और बाल्टी बनवा रहे है। होली आने से कुछ समय पहले से ही लखनऊ के बाजारों में चांदी की पिचकारी औऱ बाल्टी की डिमांड बढ़ जाती है। लेकिन, क्या आप जानते है कि आखिर क्यों लखनऊ के लोग होली के लिए ये चांदी की पिचकारी और बाल्टी का इस्तेमाल करते हैं?
दरअसल, लखनऊ के लोग इसलिए चांदी की पिचकारी से होली खेलते हैं। क्योंकि अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह चांदी की पिचकारी और बाल्टी से ही होली खेला करते थे। लखनऊ के लोग वाजिद अली शाह द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को अभी तक निभा रहे हैं। इसलिए लखनऊ में लोग चांदी की पिचकारी और बाल्टी से होली खेलते हैं।
चांदी की पिचकारी और बाल्टी के पीछे दूसरी वजह लखनऊ के दामादों से जुड़ी है। लखनऊ में एक परंपरा सालों से चली आ रही है। इस परंपरा के अनुसार, शादी के बाद लड़की अपनी पहली होली मायके में ही मनाती है। होली पर घर आए दामाद का स्वागत करने के लिए घर के बड़े दामाद को चांदी की बाल्टी और पिचकारी गिफ्ट के रूप में दी जाती है। चांदी की बाल्टी और पिचकारी गिफ्ट करना शुभ माना जाता है। इसलिए भी लखनऊ में होली के समय चांदी की बाल्टी और पिचकारी की डिमांड बाजारों में बढ़ जाती है।
तीसरी वजह भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है। दरअसल, द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण चांदी की ही बाल्टी और पिचकारी से होली खेला करते थे। भगवान कृष्ण की इस परंपरा को निभाने के लिए भी सनातन धर्म के लोग होली में चांदी की पिचकारी और बाल्टी से होली खेलते हैं।
लखनऊ में होली पर इस्तेमाल की जाने वाली चांदी की पिचकारी और बाल्टी की कीमत 3000 रुपये से लेकर 25000 रुपये तक होती है।