Love Jihad Law: यूपी में लव जिहाद को लेकर अब योगी सरकार और सख्त हो गई है। योगी सरकार ने विधानसभा में यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक सोमवार को पेश किया, जिसे आज, 30 जुलाई को पास कर दिया गया है। इसके तहत अब ‘लव जिहाद’ पर ताउम्र जेल होगी। साथ ही अब पूरे प्रदेश में धोखे से या बलपूर्वक कराए गए मतांतरण (religious conversion) के मामलों में कानून और सख्त होगा।
कानून में हुए ये बड़े बदलाव
योगी सरकार के मुताबिक, गुमराह कर शादी करने और एससी- एसटी के धर्म परिवर्तन के मामलों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। ऐसे में जरूरी है कि इस पर अंकुश लगाया जाए। इसी को देखते हुए लव जिहाद कानून में बदलाव किए गए हैं। इसके मुताबिक, धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ाने का प्रावधान है। इसमें आजीवन कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, विदेशों से धर्म परिवर्तन के लिए होने वाली फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं।
बता दें, 2021 में जो कानून बना था, उसमें एक से 10 साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान था। संशोधन के जरिये पिछले विधेयक को सजा और जुर्माने की दृष्टि से और मजबूत किया गया है। नए प्रावधानों के अनुसार यदि किसी नाबालिग, दिव्यांग और मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला, एससी-एसटी का धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो दोषी को आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा। इसी तरह, सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा होगी।
विदेशी या गैरकानूनी संस्थाओं से फंडिंग हासिल करने पर 14 वर्ष तक की सजा और 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया है। यदि कोई धर्म परिवर्तन के लिए किसी व्यक्ति के जीवन या संपत्ति को भय में डालता है, हमला या बल प्रयोग करता है, शादी करने का झूठा वादा करता है, प्रलोभन देकर किसी नाबालिग, महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है, तो उसे न्यूनतम 20 साल की सजा होगी। इसे ताउम्र तक बढ़ाया जा सकेगा। पीड़ित के इलाज और पुनर्वास के लिए भी जुर्माना देना होगा।
बता दें, योगी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में धर्म परिवर्तन या लव जिहाद विरोधी विधेयक पेश किया। इस बिल को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक नाम दिया गया है, जो मंगलवार को विधानसभा से पारित हो गया। इसके बाद अब इसे विधान परिषद भेजा जाएगा। उच्च सदन से पारित होने के बाद राज्यपाल के पास जाएगा। फिर इसे राष्ट्रपति को भेजा जाएगा।