Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। लखनऊ के प्राइवेट हॉस्पिटल में बेहोशी का इंजेक्शन लगाने से 10 साल के बच्चे की जान चली गयी। इसके बाद हॉस्पिटल के डॉक्टर और स्टाफ हॉस्पिटल बंद करके भाग गये।
क्या है पूरा मामला?
सुल्तानपुर के रहने वाले अर्जुन ने बताया कि उनके बेटे अमन का दिवाली के दिन पटाखे जलाने से आंखों में इंफेक्शन हो गया। हमने बच्चे को तुरंत सुल्तानपुर के ही एक डॉक्टर को दिखाया और फिर हम लखनऊ के लिए निकल गए। 7 नवंबर गुरुवार को हमने बेटे को लखनऊ के जन कल्याण आई हॉस्पिटल में एडमिट कराया। डॉक्टर ने बताया कि बेटे का ऑपरेशन करना होगा।
ऑपरेशन करने से पहले लगाया था बेहोशी का इंजेक्शन
पीड़ित के पिता ने ऑपरेशन कराने के लिए बेटे को अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद बेटे को ऑपरेशन का इंजेक्शन लगाया गया, लेकिन कुछ देर अमन को होश नहीं आया। हॉस्पिटल के डॉक्टरों और स्टाफ ने हमे बिना बताये बेटे को अपनी पर्सनल गाड़ी से पास के ही चैतन्य हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया। हम बेटे को लेकर बहुत परेशान थे। डॅाक्टरों से बेटे की हालत के बारे में कई बार पूछा, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि बेटे को होश नहीं आया है। उस समय भी डॉक्टरों ने हमें कुछ नहीं बताया ।
दूसरे हॉस्पिटल में कराया एडमिट
पीड़ित के पिता ने बताया कि हम कई घंटों से बेटे के होश में आने का इंतजार कर रहे थे, तभी हमें ये बताया गया कि आपके बेटे की हालत खराब थी। इसलिए उसे चैतन्य हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। हम तुरंत चैतन्य हॉस्पिटल पहुंचे, जहां हमें बताया गया कि बेटे की मौत हो चुकी है।
Read More: ‘तू जहर खा ले बाकि हम देख लेंगे…’, थाना प्रभारी के कहने पर दुष्कर्म पीड़िता ने खाया जहर; मौत
पीड़ित के पिता ने बताया कि परिवार के लोगों ने जन कल्याण आई हॉस्पिटल जाकर हंगामा किया। इसके बाद हमने गाजीपुर थाने में हॉस्पिटल के संस्थापक जगदीश प्रसाद गुप्ता और डॉक्टरों पर लापरवाही का केस दर्ज कराया है। वहीं, गाजीपुर थाने के इंस्पेक्टर विकास राय ने बताया कि पूरे मामले की जानकारी हमें है। मामले की जांच की जा रही है। जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।