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UPSACS ने लखनऊ में सेक्स वर्कर पर की बात, बोले-यौनकर्मियों से भेदभाव…

यह राउंडटेबल विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक आदेश पर केंद्रित रहा जो यौनकर्मियों के मूलभूत अधिकारों की बात करता है। मई 2022 में जारी इस आदेश में....
UPSACS

UPSACS: उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (UPSACS) एलायन्स इंडिया व ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ़ सेक्स वर्कर के साझा प्रयास से महत्वपूर्ण राज्यस्तरीय राउंडटेबल का आयोजन लखनऊ के एक होटल में किया गया। इसका उद्देश्य यौनकर्मियों के अधिकारों, उनकी गरिमा और कल्याण के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श करना था। कार्यक्रम में विभिन्न सरकारी विभागों जैसे- स्वास्थ्य, समाज कल्याण, बाल एवं महिला कल्याण, पुलिस, न्याय, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, यौनकर्मी व प्रबुद्ध समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

यौनकर्मियों को भेदभाव और हिंसा से सुरक्षा

यह राउंडटेबल विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक आदेश पर केंद्रित रहा जो यौनकर्मियों के मूलभूत अधिकारों की बात करता है। मई 2022 में जारी इस आदेश में स्पष्ट रूप से यौनकर्मियों के जीवन, उनकी गरिमा और कानून के समक्ष समानता के अधिकारों को मान्यता दी गई है। बैठक का उद्देश्य इस आदेश के कार्यान्वयन के लिए एक प्रभावी रणनीति तैयार करना था ताकि राज्य में यौनकर्मियों को भेदभाव और हिंसा से सुरक्षा मिल सके।

प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश सरकार पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बतौर मुख्य अथिति कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे ख़ुशी है कि उत्तर प्रदेश एड्स कंट्रोल सोसायटी, एलाइंस हेल्थ और सेक्स वर्कर एसोसिएशन मिलकर इस महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन कर रहे हैं और सभी सम्बंधित विभाग इसमें शामिल हैं। कार्यशाला की सफलता इसी में है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये निर्देशों में उल्लेखित सभी सात प्रमुख बिन्दुओं पर कार्ययोजना बनाकर सभी विभाग इनको अमल में लाने का प्रयास करें और सेक्स वर्कर के सम्मान और अधिकारों को दिलाने में सहयोग करें।

राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के परियोजना (UPSACS)

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कार्यक्रम के अंत में एक पाठ्यक्रम तैयार किया जाये ताकि सभी विभाग इस पर काम करें। इसे सिर्फ़ रस्म-अदायगी की तरह न लिया जाये बल्कि इस पर असल में काम करने की ज़रूरत है। राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के परियोजना निदेशक अमिता सोनी ने बताया कि यौनकर्मियों के लिए एचआईवी/एड्स की रोकथाम और उपचार के लिए व्यापक सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन यह तभी संभव होगा जब यौनकर्मी बिना किसी भय या भेदभाव के इन सेवाओं का उपयोग कर सकें।

हमने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और समाज कल्याण विभाग को भी आमंत्रित किया ताकि यौनकर्मियों की आजीविका तक पहुँच बन सके। यह सभी बातें निचले स्तर तक जायें ताकि हम बेहतर समाज बन सके। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) डीडीजी प्रिवेंशन से सोभिनी ने बताया कि भारत में 24 लाख लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। इनके लिए नाको के 904 प्रोजेक्ट्स एचआईवी जागरूकता पर चलायें जा रहे हैं। अगर हम बात करें कोविड के समय की तो सबसे ज़्यादा इनकी ही आजीविका प्रभावित हुई, ऐसे में नाको की तरफ़ से उन्हें ड्राई राशन वितरित किया गया।

यौनकर्मी समाज के एक संवेदनशील वर्ग का हिस्सा

इसके साथ ही अच्छी बात यह है कि इसमें प्रावधान है जिसमें नाको के गैजेट्स ऑफिसर बिना किसी अन्य जानकारी के आधार कार्ड बना सकते हैं। संतोष कुमार सेक्रेटरी सालसा ने कहा कि यौनकर्मी समाज के एक संवेदनशील वर्ग का हिस्सा हैं और यह हमारा नैतिक और कानूनी दायित्व है कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं, कानूनी सहायता और सामाजिक सुरक्षा का पूरा लाभ मिले।

उन्होंने कहा कि यौनकर्मियों के अधिकारों का सम्मान करना और उन्हें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करना राज्य का दायित्व है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यौनकर्मियों को उनके पेशे के आधार पर भेदभाव और उत्पीड़न का सामना नहीं करना चाहिए। ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ़ सेक्स वर्कर्स से पुतुल ने कहा कि केवल नीतियों का निर्माण ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इन नीतियों का जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यौनकर्मियों के प्रति पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के व्यवहार में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।

यह देखा गया है कि पुलिस और यौनकर्मियों के बीच संबंध कई बार तनावपूर्ण रहे हैं और इसे बदलने के लिए पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाना आवश्यक है। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था की जा रही है, ताकि पुलिस कर्मी यौनकर्मियों के कानूनी अधिकारों को समझ सकें और उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करें।

सेक्स वर्कर से सम्बंधित मामलों में आ रही व्यावहारिक दिक्कतों

सुप्रीम कोर्ट की वकील तृप्ति ने एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 के तहत यौनकर्मियों को कानूनी और स्वास्थ्य सेवाओं में भेदभाव से सुरक्षा के प्रस्तुति के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के प्रावधानों पर गहन चर्चा की और प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए । पुलिस विभाग से जुड़े प्रतिभागियों ने पूरी सक्रियता के साथ कार्यशाला में प्रतिभाग किया और सेक्स वर्कर से सम्बंधित मामलों में आ रही व्यावहारिक दिक्कतों को साझा किया।

यह भी पढ़ें- यूपी में साइबर ठगी का नया तरीका, इस एप के जरिए लोगों को झांसे में ले रहे ठग

उनका उचित सुझाव और समाधान उपलब्ध कराए गए। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के अपर परियोजना निदेशक रवींद्र कुमार, संयुक्त निदेशक रमेश चंद्र श्रीवास्तव, लॉ एनफोर्समेंट अधिकारी श्याम, उपनिदेशक समाज कल्याण श्रीनिवास त्रिवेदी , उपनिदेशक महिला एवं बाल कल्याण पुनीत मिश्र, ऑल इण्डियन नेटवर्क ऑफ़ सेक्स वर्कर्स से श्रीराम, पुलिस और कानून विभाग के अधिकारी और स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।


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