Lok Sabha Election 2024: मैनपुरी लोकसभा सीट यूपी की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किलोमीटर दूर है। इस सीट पर पिछले 28 सालों से समाजवादी पार्टी का राज रहा है। मुलायम सिंह यादव 5 बार सांसद रह चुके हैं। वहीं, सपा को यहां से 9 बार जीत हासिल हुई है। मैनपुरी में यादव, शाक्य और राजपूत वोटर्स की बहुलता है। ऐसे में चलिए जानते हैं समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी लोकसभा सीट का इतिहास क्या है।
पार्टी ने किसे बनाया है उम्मीदवार
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा का गठबंधन है। जबकि एनडीए में बीजेपी, आरएलडी, अपना दल और निषाद पार्टी का गठबंधन है। इंडिय गठबंधन ने एक बार फिर से डिंपल यादव पर भरोसा जताया है। भाजपा ने जयवीर सिंह और बीएसपी ने शिव प्रसाद यादव को टिकट दिया है।
मैनपुरी लोकसभा सीट का इतिहास
मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछले 28 साल से समाजवादी पार्टी का दबदबा है। मैनपुरी लोकसभा सीट को पहले मैनपुरी जिला पूर्व के नाम से जाना जाता था। 1951-52 में पहली बार यहां आम चुनाव हुआ था। कांग्रेस के बादशाह गुप्ता ने जीत हासिल की थी। फिर यहां का नाम बदलकर मैनपुरी लोकसभा सीट कर दिया गया। 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंशी दास धनगर ने बादशाह गुप्ता को हराया। लेकिन 1962 में बादशाह गुप्ता ने वापसी की और दूसरी बार सांसद बने।
1967 में कांग्रेस ने बादशाह गुप्ता की जगह महाराज सिंह को टिकट दिया। महाराज सिंह ने 1967 और 1971 तक इस सीट पर जीत हासिल की। आपातकाल के बाद साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के रघुनाथ सिंह वर्मा को जीत मिली। साल 1980 आम चुनाव में जनता पार्टी (सेकुलर) के उम्मीदवार के तौर पर रघुनाथ सिंह वर्मा ने फिर से जीत दर्ज की।
वहीं, अगर 1984 की बात करें तो कांग्रेस ने बलराम सिंह यादव को टिकट दिया। लेकिन ये सीट जनता दल के खाते में चली गई और उदय प्रताप सिंह ने जीत हासिल की। साल 1991 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उदय प्रताप सिंह ने ही जीत हासिल की। वहीं, अब बात आती है साल 1996 के लोकसभा चुनाव की। यहां अब समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मुलायम सिंह चुनावी मैदान में उतरें और साथ ही जीत हासिल की। फिर साल 1998 और साल 1999 चुनाव में सपा के बलराम सिंह यादव ने जीत दर्ज की।
2004 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव सांसद चुने गए। उन्होंने 2009, 2014 और 2019 आम चुनाव में भी जीत दर्ज की। लेकिन फिर उन्होंने सीट छोड़ दी तो उपचुनाव हुए समाजवादी पार्टी के तेज प्रताप सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई थी। इसके बाद यहां साल 2022 में उपचुनाव कराए गए। सपा से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान में उतरीं और 2.88 लाख वोटों से जीत हासिल की थी। डिंपल यादव को 6 लाख 18 हजार 120 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य को 3 लाख 29 हजार 659 वोट मिले थे।
विधानसभा सीटों का गणित व जातीय समीकरण
मैनपुरी लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभाएं आती हैं, जिसमें मैनपुरी, भोंगांव, किशनी, करहल और जसवंतनगर शामिल हैं। मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछड़ी जातियों की बहुलता है। इस सीट पर सबसे ज्यादा वोटर यादव समुदाय के हैं। एक अनुमान के मुताबिक यादव वोटर्स की संख्या 3.5 लाख है। इसके अलावा राजपूत वोटर्स की संख्या 1.5 लाख है और शाक्य वोटर्स की संख्या 1.6 लाख है। इस सीट पर ब्राह्मण वोटर 1.2 लाख, जाटव वोटर 1.4 लाख और लोधी राजपूत वोटर्स की संख्या एक लाख है। मैनपुरी में मुस्लिम वोटर भी एक लाख के करीब है। जबकि कुर्मी मतदाता भी एक लाख हैं।