Mayawati Statement On Bangladesh Violence: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। इसी बीच बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भारत आ गईं हैं। इसी बीच बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा है कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में बिगड़ते हालातों को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार के फैसलों के साथ है।
मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “पड़ोसी देश बांग्लादेश के तेज़ी से बदलते हुए राजनीतिक हालात के मद्देनज़र आज की सर्वदलीय बैठक अति महत्वपूर्ण, जिसमें सभी दलों द्वारा सरकार के फैसलों के साथ रहने का निर्णय उचित व ज़रूरी। बीएसपी भी इस मामले में केन्द्र सरकार के फैसलों के साथ।”
बांग्लादेश छोड़कर भारत आईं शेख हसीना (Mayawati Statement On Bangladesh Violence)
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भारत आ गईं हैं। खबर है कि यहां से वो लंदन जा सकती हैं। उनके साथ उनकी बहन शेख रेहाना भी हैं। वहीं, स्थिति को देखते हुए आर्मी चीफ वकार-उज-जमान ने बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने का एलान किया है। उन्होंने भीड़ से शांति की अपील भी की है।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ते ही प्रदर्शनकारियों ने उनके दफ्तर में भी आग लगा दी और उनकी पार्टी के नेताओं को पकड़-पकड़ कर मारा जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास में भी प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है।
100 से भी ज्यादा लोगों की गई जान
बता दें कि बांग्लादेश में इससे पहले रविवार को भयंकर हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारी शेख हसीना के इस्तीफे की मांग पर अड़े थे। इस प्रदर्शन में 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हिंसा को देखते हुए सरकार ने छुट्टी का एलान किया था। इंटरनेट भी बंद कर दिया गया था और पूरे देश में सेना को तैनात कर दिया गया था।
बता दें कि जनवरी में शेख हसीना पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनी थीं, उससे पहले से ही उनका विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद आरक्षण को लेकर छात्रों ने प्रदर्शन किया, जिसके बाद अब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया हैं।
Bangladesh Violence: छात्र क्यों कर रहे आरक्षण पर बवाल
बांग्लादेश में कई बार हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो चुके हैं। हाल ही में आरक्षण को लेकर बांग्लादेश में बवाल शुरू हुआ, जिसने सैकड़ों लोगों की जान ले ली। दरअसल, बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में जबरदस्त आरक्षण था। सरकारी नौकरियों में फ्रीडम फाइटर्स और उनके बच्चों के लिए 30%, जंग से प्रभावित हुईं महिलाओं के लिए 10%, अलग-अलग जिलों के लिए 40% आरक्षण था। बाकी 20% मेरिट वालों के लिए था।
हालांकि, सरकार इस कोटा सिस्टम में समय-समय पर बदलाव करते ही रहती थी, लेकिन फ्रीडम फाइटर्स और उनके बच्चों को मिलने वाला आरक्षण में कभी कोई बदलाव नहीं किया गया। बाद में 2018 में हसीना सरकार ने इस पूरे कोटा सिस्टम को खत्म कर दिया। हालांकि हसीना सरकार के इस फैसले को जून 2024 में हाईकोर्ट ने गलत ठहराया और आरक्षण फिर से लागू करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी।
इसके बाद से ही देश में स्थिति खराब होने लगी, छात्र सड़कों पर उतरने लगे और सरकार से कोटा सिस्टम में सुधार करने की मांग करने लगे। छात्रों का दावा था कि कोटा सिस्टम का फायदा हसीना की पार्टी आवामी लीग के नेताओं को मिल रहा है। छात्रों ने शेख हसीना पर फेवरेटिज्म का आरोप भी लगाया, जब पुलिस ने इन प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश की तो छात्र उग्र हो गए और हिंसा भड़क उठी।
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Bangladesh Violence: इस कारण भड़की हिंसा
16 जुलाई को बांग्लादेश में जारी प्रदर्शनों के बीच हिंसा तब भड़क उठी, जब राजधानी ढाका में प्रदर्शनकारी और सरकार समर्थकों के बीच झड़प हुई थी। इसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद हसीना सरकार ने सभी स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए थे। इस घटना के बाद प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के इस्तीफे की मांग तेज कर दी थी। प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी इमारतों के साथ-साथ बांग्लादेश टीवी के हेडक्वार्टर को भी आग लगा दी थी।
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इसी बीच 21 जुलाई को कोटा सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि सरकारी नौकरियों में फ्रीडम फाइटर्स और उनके बच्चों के लिए 5% तक कोटा फिक्स कर दिया। इसके बाद छात्रों का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ, लेकिन ये शांति बहुत दिन तक नहीं रह सकी।