Lok Sabha Election: यूपी की चर्चित लोकसभा सीटों में रायबरेली भी शामिल है। भारतीय जनता पार्टी ने 2 मई को इस सीट पर अपने प्रत्याशी का एलान भी कर दिया है। पार्टी ने एक बार फिर से दिनेश प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है। वे वही दिनेश प्रताप हैं, जिन्होंने 2019 के चुनाव में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चुनौती दी थी। हालांकि, तब करीब पौने दो लाख लोटों से हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में अब दिनेश अपनी जीत को लेकर दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि रायबरेली से चाहे प्रियंका लड़े या फिर राहुल गांधी, इस बार खिलेगा तो कमल ही।
भारतीय जनता प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने छोटे से कार्यकर्ता पर जो भरोसा जताया है, वो उनके लिए बहुत बड़ी बात है। इसके लिए वो प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और उन सभी का धन्यवाद अदा करता हूं, जिन्होंने मेरा समर्थन किया। मैं इन सबका हृदय से धन्यवाद देता हूं और भरोसा दिलाता हूं कि उनके भरोसे को कभी हारने नहीं दूंगा। मैं उनके भरोसे को कायम रखूंगा और इस बार रायबरेली में कमल खिलेगा और सत्ता में एक बार फिर से बीजेपी आएगी।
दिनेश ने आगे कहा कि भले ही रायबरेली कांग्रेस का गढ़ माना जाता हो। लेकिन अब हर जगह बीजेपी का कमल खिलेगा। देश की कमान पीएम मोदी के हाथों में तो देश सुरक्षित है। मोदी जी के हाथों में देशवासियों की गाढ़ी कमाई का पैसा सुरक्षित है। मैं कह सकता हूं कि रायबरेली जनपद में न एक गांव का प्रधान कांग्रेस का जीतता है, न एक बीडीसी जीतता है, नए एमएलसी जीतता है, न एक जिला पंचायत सदस्य जीतता है। अब रायबरेली भाजपा का गढ़ बन गया।
कौन हैं दिनेश प्रताप सिंह?
दिनेश प्रताप सिंह उत्तर प्रदेश में बीजेपी के एमएलसी हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया है। पूर्व में वो कांग्रेस रह चुके हैं। साल 2018 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें रायबरेली सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह के भाई को रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि, उन्हें जीत नहीं मिली थी।