कहते हैं आपकी किस्तम कभी भी पलट सकती है। कभी आप अपने करियर की ऊंचाइयों में होते हैं तो कभी-कभी वक्त आपकोडाउन फॉल भी दिखाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है यूपी के सहारनपुर के रहने वाले प्रवीण सैनी के साथ, जो मार्शल आर्ट में कई बार नेशनल और इंटरनेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। इतना ही नहीं प्रवीण सैनी को मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट भी मिली है, लेकिन अब प्रवीण सैनी अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए सब्जी का ठेला लगाते हैं।
प्रवीण सैनी बताते हैं कि देश के लिए मेडल लाने के बाद भी उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला है, इसलिए वो सब कुछ छोड़ चुके हैं और सब्जी बेचकर अपने परिवार का खर्चा चलाते हैं। अब सरकार से भी मदद की कोई उम्मीद नहीं है। प्रवीण सैनी ने कहा कि अगर सरकारी नौकरी मिलती तो मैं अपने परिवार का पालन पोषण करता और आगे खेलकर देश का नाम रोशन भी करते।
प्रवीण सैनी ने बताया कि उन्होंने 1999 में मार्शल आर्ट सीखी था। 2002 में मुबंई में इंटरनेशनल कूडो चैम्पियनशिप में भारत को सिल्वर मेडल भी दिलाया। इसके बाद 2005 में एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय कूडो चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और गोल्ड जीता और भी कई मेडल जिला स्तर पर जीते, लेकिन सरकार की ओर से कोई सहायता राशि नहीं मिली। देशभर में मार्शल आर्ट से प्रवीण सैनी ने अच्छा नाम कमाया, लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं की गई। एक भी पैसा नहीं दिया गया। 2009 में बड़ी नहर में 6 साल का बच्चा डूब रहा था। नहर में छलांग लगाकर मैंने बच्चे की जान बचाई। इस तरह मैंने कई लोगों की जान बचाई लेकिन सरकार की तरफ से मुझे कोई सम्मान नहीं दिया गया।
19 जुलाई 2010 सांसद जगदी शराणा ने प्रवीण सैनी को घर बुलाकर सम्मानित किया और जीवन रक्षक पदक के लिए प्रवीण सैनी का नाम भेजा। लेकिन आज तक जीवन रक्षक पद से सम्मानित नहीं किया गया। इतना ही नहीं 2017 में बहादुरी पुरस्कार के लिए डीएम ने मेरा नाम भेजा था, लेकिन 7 साल हो गए अभी तक कोई पुरस्कार नहीं मिला।