नए संसद भवन में सेंगोल को लेकर सियासी जंग छिड़ गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष लगातार एक-दूसरे पर जमकर पलटवार कर रहा है। इसी बीच यूपी में भी सेंगोल को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया है। यहां बसपा प्रमुख मायावती ने सेंगोल को लेकर समाजवादी पार्टी पर कड़ा प्रहार किया है।
बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि सेंगोल को संसद में लगाना है या नहीं, इस पर बोलने के साथ-साथ सपा के लिए यह बेहतर होता कि यह पार्टी देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में तथा आम जनहित के मुद्दों को भी लेकर केन्द्र सरकार को घेरती। उन्होंने आगे कहा कि जबकि सच्चाई यह है कि यह पार्टी अधिकांश ऐसे मुद्दों पर चुप ही रहती है तथा सरकार में आकर कमजोर वर्गों के विरूद्ध फैसले भी लेती है। इनके महापुरूषों की भी उपेक्षा करती है। इस पार्टी के सभी हथकण्डों से जरूर सावधान रहें।
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सेंगोल पर समाजवादी पार्टी के नेताओं की टिप्पणी को निंदनीय बताया था। उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि समाजवादी पार्टी के मन में भारतीय इतिहास या संस्कृति का कोई सम्मान नहीं है। सेंगोल पर उनके शीर्ष नेताओं की टिप्पणी निंदनीय है। यह उनकी अज्ञानता को दर्शाती है। यह विशेष रूप से तमिल संस्कृति के प्रति INDI गठबंधन की नफरत को भी दर्शाता है। सेंगोल भारत का गौरव है और यह सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे संसद में सर्वोच्च सम्मान दिया।
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गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने विगत दिनों प्रोटेम स्पीकर को पत्र लिखकर सेंगोल पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने संसद में सेंगोल को स्थापित किया है। ‘सेंगोल’ का मतलब है राज-दंड या राजा का डंडा। राजसी व्यवस्था को खत्म करने के बाद देश स्वतंत्र हुआ। अब देश ‘राजा के डंडे’ से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए।
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चौधरी का बचाव करते हुए कहा कि यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के लिए एक अनुस्मारक हो सकती है। अखिलेश यादव ने कहा कि जब सेंगोल स्थापित किया गया था, तो प्रधानमंत्री ने उसके सामने सिर झुकाया था। शपथ लेते समय शायद वह यह भूल गए हों। शायद हमारे सांसद की टिप्पणी उन्हें यह याद दिलाने के लिए थी।
बता दें, 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में लोकसभा कक्ष में स्पीकर की कुर्सी के बगल में पारंपरिक पूजा के बाद ऐतिहासिक सेंगोल स्थापित किया। अधीनम द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को सौंपा गया यह सेंगोल भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 की रात को स्वीकार किया था।