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काशी की बदली तस्वीर, 2 साल में इतने भक्तों ने लगाई बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी

काशी को इतिहास से भी प्राचीन लिविंग सिटी का दर्जा प्राप्त है। सुप्रसिद्ध यूरोपियन लेखक और साहित्यकार मार्क ट्वेन ने काशी की कथाओं और आध्यात्मिक परंपरा पर मंत्रमुग्ध हो कर लिखा है,"बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, किंवदंतियों से भी पुराना है...
development in Varanasi and number of devotees increased in kashi

वाराणसी: काशी हमेशा से विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। धर्म, अध्यात्म और संस्कृति को जानने की जिज्ञासा विदेशी पर्यटकों को सात समुद्र पार से काशी खींच लाती है। नव्य भव्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारित होने के बाद धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई है। बाबा के दरबार में 139 देशों के भक्तों ने पिछले दो सालो में हाज़री लगाई है।

काशी ने परंपराओं को रखा जीवित

काशी को इतिहास से भी प्राचीन लिविंग सिटी का दर्जा प्राप्त है। सुप्रसिद्ध यूरोपियन लेखक और साहित्यकार मार्क ट्वेन ने काशी की कथाओं और आध्यात्मिक परंपरा पर मंत्रमुग्ध हो कर लिखा है,”बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, किंवदंतियों से भी पुराना है और इन सभी को जोड़कर तुलना करें तो इनकी संयुक्त आयु से भी दोगुना पुराना होने की प्रतीति देता है।” धरोहरों और विरासत को सदियों से संजो के रखने वाली काशी ने विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखा है। विदेशी सैलानियों को काशी का यही कौतूहल खींच कर लाता है।

विदेशी सैलानियों की संख्या में वृद्धि

विदेशी सैलानियों में एक बड़ी संख्या में सैलानी श्रीकाशी विश्वनाथ जी के दर्शन करने भी आते हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि धाम के लोकार्पण के बाद लगभग 25 महीनों में बाबा के दरबार में 139 देशों के भक्तों ने हाजिरी लगाई है। वहीं यदि संख्यात्मक आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2023 में केवल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में ही चार गुने से भी अधिक की वृद्धि हुई है।

आंकड़े में शामिल नहीं हैं ये विदेशी पर्यटक

यहां यह उल्लेखनीय है कि अनेक गैर सनातन मतावलंबी काशी आते हैं, परंतु मंदिर में दर्शन नहीं करने जाते। अतः श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सीईओ द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में ऐसे सैलानियों की गिनती इस संख्या में सम्मिलित नहीं है। इसी प्रकार बड़ी संख्या में सारनाथ होते हुए बौद्ध परिपथ के विदेशी पर्यटक भी इस संख्या में सम्मिलित नहीं हैं। तंत्र, शाक्त, क्रिया योग, जैन, अघोरपंथ के बड़े आश्रमों और साधना स्थलों पर सीधे पहुंचने वाले इन विद्याओं के विदेशी साधक भी इस आंकड़े में सम्मिलित नहीं हैं।

काशी में बढ़ा पर्यटन

काशी की दुनिया से अच्छी कनेक्टिविटी, सुरक्षा, मूल-भूत ढांचा में सुधार से बढ़ी सुविधाओं ने काशी में पर्यटकों का रुझान और बढ़ा दिया है। विदेशी सैलानी काशी के मंदिरों, धरोहर और संस्कृति को देखने ही नहीं आते बल्कि काशी को जीने भी आते हैं। विदेशी पर्यटक हिंदी, संस्कृत, संगीत और मंत्रो को सीखने के लिए काशी में कई दिनों तक रहते भी हैं।


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