उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। हर रोज पारा 48 से ऊपर पहुंच रहा है, जिस कारण लोगों का घरों से निकलना अब मुश्किल हो गया। आलम यह है कि कई लोगों की जान तक चली जा रही है, जिसका एक उदाहरण काशी के घाटों में देखने को मिला। यहां मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर लाशों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। कहा जा रहा है कि अब तक लगभग 350 लाशों को जलाया जा चुका है, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया।
वहीं, अंतिम संस्कार करने आए लोगों की मानें तो लाशों के आने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। शवों को लेकर आए लोग गलियों में खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं। बीती रात पूरी गली में जाम का माहौल दिखा।
जानकारी के मुताबिक, काशी से मणिकर्णिका घाट पर शुक्रवार को अंतिम संस्कार के लोगों की लाइन लगी थी, जिस कारण मणिकर्णिका घाट जाने वाले रास्ते पर काफी लंबा जाम लगा था। आम दिनों की बात करें तो मणिकर्णिका घाट पर पूरे दिन में 100-150 के आसपास शवों का दाह संस्कार होता है, लेकिन इन दिनों भीषण गर्मी का प्रकोप कुछ इस कदर है कि देश के अलग-अलग हिस्से और पूर्वांचल से यहां पर प्रतिदिन 300 से ज्यादा शव ला जा रहे हैं।
वहीं, अपने रिश्तेदार का शव लेकर आए घाट आए पर लोगों का कहना है कि घाट पर लकड़ियां ही नहीं मिल रही हैं। हमें अंदाजा नहीं था कि हालात ऐसे होंगे। भीड़ से परेशान परिजन एक चिता पर दो शव रखकर जलाने के लिए भी तैयार हो गए। दरअसल, लकड़ी न मिलने से लोगों के पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था। वहीं, जब लकड़ियां मिलने में दिक्कत आई तो कुछ परिजन दूसरे घाट पर शव लेकर चले गए।
महाश्मशान नाथ सेवा समिति के महामंत्री बिहारी लाल गुप्ता कहते हैं कि काशी में सबसे पहले लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने मणिकर्णिका घाट पर ही आते हैं। ऐसा मानना है कि मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है, लेकिन जब यहां जगह नहीं मिल पाता है, लोग दूसरे घाट पर चले जाते हैं।