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इंदौर में BJP प्रत्याशी 10 लाख से ज्यादा वोटों से आगे, नोटा को दो लाख से ज्यादा वोट

Lok Sabha Election 2024 Result: मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा एकतरफा लड़ाई लड़ रही है, लेकिन नोटा भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहा है। जी हां इंदौर में नोटा को मिलने वाले वोटों का आंकड़ा 203933 पहुंच गया है। वहीं, भाजपा ने यहां से शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है, जिनके पक्ष में अब तक 1212104 मिल चुके हैं।
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Lok Sabha Election 2024 Result: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सामने आते जा रहे हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट पर अलग ही नजारा देखने को मिला। यहां भाजपा एकतरफा लड़ाई लड़ रही है, लेकिन नोटा भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहा है। जी हां इंदौर में नोटा को मिलने वाले वोटों का आंकड़ा 203933 पहुंच गया है। वहीं, भाजपा ने यहां से शंकर लालवानी को मैदान में उतारा है, जिनके पक्ष में अब तक 1212104 मिल चुके हैं।

बता दें, इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे अक्षय कांति बम नामांकन के आखिरी दिन 29 अप्रैल को कांग्रेस के साथ दगा करते हुए भाजपा में शामिल हो गए थे। नामांकन की आखिरी तिथि के चलते कांग्रेस किसी ओर को प्रत्याशी नहीं बना पाई थी। इसके बाद कांग्रेस ने घर-घर जाकर जनता से नोटा को वोट देने की अपील की। कांग्रेस ने नोटा दबाने के लिए एक तरह से अभियान भी चलाया था। अक्षय कांति बम के यह कदम उठाए जाने के बाद इंदौर के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब इंदौर के चुनावी मैदान में कांग्रेस का कोई प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ रहा है। हालांकि, अक्षय बम को भाजपा में लेने पर कुछ भाजपाईयों ने आपत्ति जताई थी। इन सभी कारणों से इंदौर में नोटा को अब तक के सबसे ज्यादा मत मिलने का अनुमान लगाया जा रहा था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, दोपहर 12 बजे तक ही नोटा को एक लाख वोट मिल चुके थे।

क्या है NOTA ?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2013 में एक फैसला दिया था, जिसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा का इस्तेमाल शुरू किया गया। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया था कि वह बैलेट पेपर्स या ईवीएम में नोटा का प्रावधान करें, ताकि वोटर्स को किसी को भी वोट नहीं करने का हक मिल सके। इसके बाद आयोग ने ईवीएम में नोटा का बटन आखिरी विकल्प के रूप में रखा। रूल 49-O के नियम के मुताबिक, हर वोटर को वोट नहीं करने का अधिकार है। नोटा से पहले कोई वोटर अगर किसी प्रत्याशी को वोट नहीं देना चाहता था तो उसे फॉर्म 490 भरना पड़ता था। हालांकि, पोलिंग स्टेशन पर ऐसे फॉर्म भरना उस वोटर के लिए खतरा भी हो सकता था। यह कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 का उल्लंघन भी था। इससे वोटर की गोपनीयता भंग होती थी, जिसके बाद ईवीएम में नोटा को जोड़ा गया।


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