Loksabha Election 2024: उत्तरप्रदेश के अमेठी से गांधी परिवार का गहरा रिश्ता है। संजय गांधी ने पहली बार यहीं से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था। इस घटना का कनेक्शन आपातकाल के दौर से है, जब इंदिरा गांधी के फैसले से नाराज जनता ने संजय को हार का मुंह दिखाया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1975 में देश में इमरजेंसी लगाई गई थी। इसी दौरान नसबंदी भी कराई गई थी। इसी से कई महिलाएं नाराज थी। नाराज महिलाओं ने संजय गांधी को क्या कुछ कहा था ये आपको बाद में बताएंगे पहले आइए इस चुनावी किस्से के बारे में विस्तार से जान लें….
1975 में लगी थी इमरजेंसी
इंदिरा गांधी ने 1975 के दौरान देश में इमरजेंसी लगाई थी। उस समय लगभग दो साल तक देश में आपातकाल लागू रहा था। इसके कारण आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इस दौरान कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया। सरकार की इस तानाशाही का विरोध किया गया, लेकिन कोई हल नहीं निकला। आपातकाल के दौरान लोगों की जबरन नसबंदी भी करवाई गई, जिससे जनता बेहद नाखुश थी। गांधी परिवार से गुस्सायी जनता का क्रोध अमेठी के चुनाव परिणाम पर देखने को मिला, जिसमें संजय गांधी को करारी हार मिली।
संजय ने भरा अमेठी से पर्चा
साल 1977 में संजय गांधी ने अमेठी सीट से पर्चा भरा। इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए वे काफी उत्साहित थे। संजय ने इस बात की जानकारी देने के लिए मां इंदिरा गांधी को फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। चुनाव के परिणाम की झलक तो संजय और उनकी पत्नी मेनका को तभी मिल गई थी जब वह चुनाव प्रचार के लिए अमेठी पहुंचे थे। उस वक्त कुछ महिलाओं ने चिल्लाकर कहा, ‘आपने हमें विधवा बना दिया है।’ ये वही महिलाएं थीं, जिनके पतियों की नसबंदी के बाद मौत हो गई थी।
जब सुनी हार की खबर
गांधी परिवार से अमेठी का रिश्ता हार के साथ शुरू हुआ था। चुनाव के नतीजे वाले दिन राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी और अन्य सदस्य खाने की टेबल पर बैठे हुए थे। उसी समय आरके धवन चुनाव परिणाम की जानकारी देने प्रधानमंत्री आवास पहुंचे। आरके ने बताया कि संजय गांधी चुनाव हार गए हैं। 1977 में रवींद्र प्रताप सिंह ने 75 हजार वोटों से संजय गांधी को हराया था। इस हार की वजह इंदिरा गांधी द्वारा लिया गया आपातकाल का फैसला था।