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सीरम इंस्टीट्यूट का बड़ा बयान, कोविशील्ड के साइडइफेक्ट का पहले ही कर दिया था खुलासा


दुनियाभर में कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इसकी शुरूआत ब्रिटिश दवा कंपनी ‘एस्ट्राजेनेका’ के एक खुलासे से हुई। कंपनी ने अदालत के समक्ष स्वीकारा कि कोविशील्ड वैक्सीन के दुर्लभ प्रभाव हो सकते हैं। स्ट्राजेनेका ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर भारत को कोविशील्ड टीकों की सप्लाई की थी। अब इस पूरे मामले पर सीरम इंस्टीट्यूट का बयान सामने आया है। सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा है कि वह पहले ही कोविशील्ड के साइडइफेक्ट बारे में बता चुके थे।

सीरम इंस्टीट्यूट का बयान

इस मामले पर सीरम इंस्टीट्यूट का बड़ा बयान सामने आया है। सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि उसके सभी प्रोडक्ट पैकेजिंग में टीटीएस सहित सभी दुर्लभ से दुर्लभ दुष्प्रभावों का खुलासा पहले ही कर दिया गया था। कंपनी ने बुधवार को ये भी कहा कि वैक्सीन की सुरक्षा सर्वोपरि बनी हुई है। आपको बता दें कि एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन और थ्रोम्बोसिस के बीच थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ संबंध को स्वीकार किया है। इस स्थिति में असामान्य रूप से प्लेटलेट्स का स्तर कम होता है और खून के थक्के बनते हैं। एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में इन सभी बातों को स्वीकार किया था।

पहले ही कर दिया था दुष्प्रभावों का खुलासा

सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा, ‘हम इन चिंताओं को पूरी तरह से समझते हैं। ऐसे में हमारे लिए पारदर्शिता और सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता पर जोर देना महत्वपूर्ण है। शुरुआत से ही, हमने 2021 में पैकेजिंग इंसर्ट में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस सहित सभी दुर्लभ से दुर्लभ दुष्प्रभावों का खुलासा किया था। दिसंबर 2021 से कोविशील्ड का निर्माण बंद कर दिया था।’ कंपनी ने कहा, ‘इसके परिणामस्वरूप पिछले टीकों की मांग काफी कम हो गई थी। भारत में 2021 और 2022 में सबसे ज्यादा टीकाकरण दर हासिल की गई थी। इसके साथ-साथ नए म्यूटेट वेरिएंट्स सामने आए थे। पिछले टीकों की मांग काफी कम हो गई। नतीजतन, दिसंबर 2021 से, हमने कोविशील्ड की अतिरिक्त खुराक का निर्माण और आपूर्ति बंद कर दी।’

ज्यादातर लोगों को लगे कोविशील्ड के टीके

इस पूरे मामले के सामने आने के बाद लोग इसलिए घबरा रहे हैं, क्योंकि अधिकांश लोगों को कोविशील्ड के टीके लगाए गए थे। कोविड-19 टीकों के देशभर में 220 करोड़ से अधिक डोज दिए गए हैं। दरअसल, ये मामला तब सुर्खियों में आया जब एक मरीज ने दावा किया कि कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने के बाद खून का थक्का बनने के कारण उसका दिमाग हमेशा के लिए बेकार हो गया। शख्स ने अप्रैल 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई थी।


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