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सर्दियों के मौसम में पुरानी चोट का कैसे रखें ध्यान


आपने अक्सर घर की महिलाओं को यह शिकायत करते हुए सुना होगा कि उनके पुराने जोड़ो का दर्द या पुरानी किसी चोट का दर्द सर्दियों में वापस उन्हें तकलीफ दे रहा है। आपकों यह जानकर हैरानी होगी की मौसम ठंडा होने पर पुरानी चोटों या जोड़ों में अचानक दर्द शुरू हो सकता है।   

हमारा शरीर कई तरह के स्ट्रेस से जुझता है। जिसके कारण हम अक्सर मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द महसूस करते है। अगर आपको किसी दुर्घटना के कारण र्थोपेडिक चोट लगी है, तो सर्दी के मौसम में आपकी परेशानी बढ़ सकती है।

आखिर क्यों होता है पुरानी चोट में दर्द

ठंड के कारण वातावरण का तापमान गिरने लगता है। जिसके कारण दबाव में भी बदलाव आता है, जिससे आपके शरीर के तरल पदार्थ प्रभावित होते है, खासकर आपके घुटनें और पैर के गट्टे के आसपास का भाग। जब ठंड बढ़ती है, तो बैरोमीटर का वायुदाब तेजी से कम होने लगता है। इससे दबाव में गिरावट होती है, जिस कारण घुटनों और पुरानी चोंटो के आसपास गैस और तरल पदार्थ तेजी से फैलने लगता हैं। जैसे-जैसे ये तरल पदार्थ फैलता हैं, वह एक ही जगह जमा हो जाता हैं और नसों पर दबाव बनाने लगता हैं, जिसके कारण पुरानी चोटों में दर्द फिर से शुरु हो जाता है।

आर्थोपेडिक चोटों से नर्व में संवेदनशीलता और नर्व सिस्टम में तनाव बढ़ जाता है। तापमान में गिरावट एक ट्रिगर के रूप में काम करती है, जो शरीर को संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है। नसो में संवेदनशीलता बढ़ने के कारण नसें मौसम के बदलाव पर तेजी से प्रतिक्रिया करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछली चोटों से दर्द और सूजन की समस्या आने लगती है।

बचाव के लिए किन-किन बातों का रखें ध्यान

बढ़ती ठंड में आवश्यक है कि आप की आप प्रतिदिन एक्सरसाइज और योगा करे। ठंड के मौसम में ज्यादातर लोग शारीरिक गतिविधि करने से बचते हैं। जिस कारण जोड़ों, मांसपेशियों और ऊतकों में अकड़न हो जाती है। साथ ही पुरानी चोटों में दर्द होता है।

आजकल लोग इतने व्यस्त हो गए हैं कि उनके पास अपनी चोट की तरफ ध्यान देने का भी समय नहीं है। लोग अक्सर मोच या हड्डी की समस्या होने पर पूरी तरह से आराम नहीं लेते। ऐसे में पूरी आराम और इलाज ना ले पाने के कारण सर्दियों में पुरानी चोट उन्हें परेशान करती हैं। इसलिए यह आवश्यक हैं कि छोटी सी छोटी चोट लगने पर भी इलाज पूरा कराना चाहिए। विशेषज्ञों की माने, तो इस मौसम में मरीजों को गर्म पानी से दर्द होने वाली जगह पर सिकाई करनी चाहिए, ठंड से बचकर रहना चाहिए, चोट पर गर्म कपड़ा बांधना चाहिए, साथ ही दर्द होने पर पेन किलर लेना चाहिए।

अगर मरीज को इससे भी आराम न मिले तो उन्हें डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। इसके अलावा दर्द वाली जगह को ढ़क्कर रखना चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताई हुई क्रीम या दवाई को समय पर लगाना चाहिए।


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