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‘गंगा तेरा पानी अमृत’…क्या सच में अमृत है नदियों का पानी, पढ़ें पूरी खबर…


India Polluted River: नदियों को हम मां की तरह पूजते हैं। मां गंगा, मां यमुना व मां सरस्वती के नाम से हम उन्हें पुकारते हैं। लेकिन जिन्हें हम मां की तरह पूजते हैं उनकी स्तिथि बहुत ही दयनीय है। भारत में नदियों के प्रदूषण को लेकर एक रिपोर्ट जारी हुई है। इस रिपोर्ट में यह जानकारी निकल कर आई है कि देश की करीब 46 प्रतिशत नदियां प्रदूषित है। सरकार नदियों की सफाई को लेकर कई योजनाएं चलाई जरूर है लेकिन अगर आंकड़ों की बात की जाए तो ये योजनाएं सिर्फ कागज पर ही चल रही है। जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

देश की कुल नदियों की बात करें तो वह 603 हैं। रिपोर्ट के अनुसार 30 राज्यों की 279 नदियां प्रदूषित पाई गई है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी स्टेट आफ एनवायरमेंट (एसओई) रिपोर्ट 2023 में यह सच विस्तार से बयां किया गया है। हालांकि 2018 के मुकाबले 2022 में मामूली सुधार देखा गया है। 2018 में 31 राज्यों में 323 नदियां प्रदूषित थी।

इस रिपोर्ट के मुताबिक देश की 279 प्रदूषित नदियों में सर्वाधिक 55 प्रदूषित नदियां महाराष्ट्र में हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश में 19, बिहार और केरल में 18-18, उत्तर प्रदेश कर्नाटक में 17-17, राजस्थान में 14, गुजरात, मणिपुर और बंगाल में 13-13 नदियां प्रदूषित हैं। दिल्ली में यमुना की हालत भी बेहद ही खराब है।

उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक खराब है BOD
रिपोर्ट के मुताबिक कई राज्यों के प्रदूषित नदी स्थलों पर जैविक आक्सीजन मांग (BOD) अपने सामान्य मानक से 10 गुना अधिक तक मौजूद है। एक लीटर में BOD की सामान्य मात्रा तीन मिलीग्राम होती है। यदि BOD इस मानक से अधिक है तो इसका आशय हुआ कि पानी न सिर्फ प्रदूषित है बल्कि पानी में मौजूद आक्सीजन तत्व में कमी आ रही है और पानी में मौजूद सूक्ष्म जीवों को भी कार्बनिक पदार्थों को समाप्त करने के लिए अतिरिक्त आक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 109 नदी प्रदूषण निगरानी स्थल ऐसे हैं जहां BOD सामान्य मानक तीन मिलीग्राम प्रति लीटर की स्वीकार्य सीमा से 10 गुना अधिक 30 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाया गया। नदियों में BOD प्रदूषण के मामले में सबसे खराब स्थिति उत्तर प्रदेश की है, जहां कुल 20 निगरानी स्टेशन केंद्र ऐसे हैं जहां पर BOD 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया है।

गंगा सबसे अधिक प्रदूषित
देश में कुल 1920 निगरानी स्थल हैं। इनमें 43 प्रतिशत यानी 817 नदी प्रदूषण निगरानी स्थल ऐसे हैं जिसमें 2019 से 2021 के बीच नदी के पानी की गुणवत्ता नहाने लायक नहीं थी। रिपोर्ट के मुताबिक देश की कुल 279 प्रदूषित नदियो में गंगा समेत कुल 33 नदियां ऐसी हैं जहां 10 या उससे ज्यादा स्थानों पर BOD स्वीकार्य सीमा से अधिक पाया गया है।

गंगा में 49 स्थलों पर जबकि यमुना में 35, गोदावरी में 31, घग्गर में 27, गोमती में 20, कावेरी में 15, दामोदर में 12, कृष्णा में 12, भवानी, हिंडन और सतलुज में 11-11 स्थल और मूसी में 10 या उससे अधिक स्थलों पर नदियों में BOD स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक पाया गया है।

क्या होता है BOD
जब कार्बनिक पदार्थ जैसे-मृत पौधे, घास, खाद, सीवरेज पानी में मौजूद होते हैं तो बैक्टीरिया इस कचरे को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। जब ऐसा होता है, तो उपलब्ध विघटित आक्सीजन का अधिकांश भाग एरोबिक जीवाणुओं द्वारा ग्रहण किया जाता है, जिसे जैविक आक्सीजन मांग कहा जाता है।


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