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नमामि गंगे का दूसरा चरण पूरा होने पर गंगा में प्रदूषण का स्तर होगा कम

नमामि गंगे का दूसरा चरण पूरा होने पर गंगा में प्रदूषण का स्तर तो कम होगा ही जलधारा भी निर्मल होगी। यही नहीं सीवरेज क्षमता में भी 3,108 एमएलडी तक की वृद्धि होगी। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के पदाधिकारियों ने बताया कि नमामि गंगे योजना 2014 में शुरू हुई थी।
Namami Gange Yojna | National Mission for Clean Ganga | shreshth uttar pradesh |

गंगा में सफाई पर मचे सियासी बवाल के बीच नमामि गंगे योजना ‘Namami Gange Yojna’ से राहत भरी खबर आयी है। नमामि गंगे का दूसरा चरण पूरा होने पर गंगा में प्रदूषण का स्तर तो कम होगा ही जलधारा भी निर्मल होगी। यही नहीं सीवरेज क्षमता में भी 3,108 एमएलडी तक की वृद्धि होगी। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga) के पदाधिकारियों ने बताया कि नमामि गंगे योजना 2014 में शुरू हुई थी। इसके तहत गंगा समेत इसकी सहायक नदियों में प्रदूषण कम करने और सीवरेज क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया गया, जिसका नतीजा है कि नमामि गंगे मिशन के दूसरे चरण के पूरा होने तक अतिरिक्त 3,108 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट क्षमता हासिल कर ली जाएगी, जबकि मार्च 2014 में यह क्षमता केवल 1,221 एमएलडी थी, जो मौजूदा एसटीपी के पुनर्वास और नई क्षमताओं के विकास के बाद बढ़कर 3,110 एमएलडी हो गई है।

सीपीसीबी की रिपोर्ट में सुधार के संकेत

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) द्वारा गंगा नदी में प्रदूषण पर केंद्रित एक रिपोर्ट जल की गुणवत्ता में सुधार को इंगित करती है। रिपोर्ट की मानें तो बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड की मात्रा मानक के अनुसार पायी गई। इससे स्पष्ट होता है कि नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हुआ है। बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर भी निर्धारित मानकों के अंदर है।

विशेषज्ञ ने जताया संतोष

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर और सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज (सी-गंगा) के संस्थापक डॉ. विनोद तारे ने बताया कि “नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सीवेज उपचार के लिए अपनाई गई सभी तकनीकें निर्धारित मानकों के अनुसार फेकल कोलीफॉर्म का उपचार करने में सक्षम हैं। इसके बाद गंगा बेसिन के भीतर जलीय जीवन में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा बेहतर जल गुणवत्ता और सीवरेज बुनियादी ढांचे में सुधार ने नदी में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में अभूतपूर्व योगदान दिया है। यही नहीं इससे गंगा डॉल्फ़िन, ऊदबिलाव और कछुओं की आबादी भी बढ़ी है।

वाराणसी में 4.5 गुना बढ़ी सीवरेज क्षमता

एनएमसीजी अधिकारियों ने बताया कि नमामि गंगे के तहत सीवरेज प्रोजेक्ट भविष्य की जरुरतों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। अकेले वाराणसी की ही बात करें तो एसटीपी क्षमता 2014 में 100 एमएलडी से 4.5 गुना तक बढ़ गई है। वर्तमान में 55 एमएलडी एसटीपी निर्माणाधीन भी है। नमामि गंगे के तहत अब तक 38,696 करोड़ रुपये की लागत वाले 465 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है।


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