IT Raid Shoe Traders In Agra: आगरा में जूता कारोबारियों के घर पर तीन दिन से आयकर विभाग (Income Tax Department) की छापेमारी चल रही है, जिसमें अब तक 56 करोड़ का कैश बरामद किया जा चुका है। सबसे ज्यादा नकदी हरमिलाप ट्रेडर्स से बरामद की गई है। आयकर विभाग को तीनों कारोबारियों के डबल बेड और अलमारियों में 11,200 से ज्यादा नोटों के बंडल मिले। आयकर विभाग के मुताबिक, तीनों जूता कारोबारियों (Shoe Traders) के ठिकानों पर यह छापा चौथे दिन यानी आज भी जारी रहेगा। वहीं, सोमवार को आयकर विभाग ने बैंक की कैश जमा करने वाली वैन से करेंसी चेस्ट में भेजकर नकदी को जमा कराया।
नोटों की गड्डियां देख IT अधिकारी भी हैरान
मिली जानकारी के मुताबिक, आयकर विभाग के संयुक्त निदेशक अमरजोत ने तीनों कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी के निर्देश दिये, जिसके बाद एमजी रोड स्थित बीके शूज (B.K. Shoes) के अशोक मिड्डा, मंशु फुटवियर (Manshu Footwear) के हरदीप मिड्डा और हरमिलाप ट्रेडर्स (Harmilap Traders) के रामनाथ डंग के घर और ठिकानों पर छापा मारा गया। सोमवार को कार्रवाई का तीसरा दिन था। इस दौरान सबसे ज्यादा कैश हरमिलाप ट्रेडर्स के मालिक रामनाथ डंग के घर से बरामद की गई। इसके बाद 500 रुपये के नोटों के 11,200 बंडलों को इन्वेस्टिगेशन टीम ने स्टेट बैंक की वैन मंगवाकर सरकारी अकाउंट में जमा कराया। 500 रुपये के नोटों की इतनी गड्डियां मिलने से आयकर अधिकारी भी हैरान हैं।
कारोबार में पर्ची से बड़ा लेनदेन
इनकम टैक्स विभाग की रेड में सबसे बड़ा खुलासा ‘पर्ची से कारोबार’ का हुआ है। पूरी दुनिया में आगरा में बड़े पैमाने पर होने वाला जूते का कारोबार करीब 20 हजार करोड़ रुपए का है। इस कारोबार में नोट की जगह पर्ची से बड़ा लेनदेन होता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, हरमिलाप ट्रेडर्स के मालिक रामनाथ डंग के घर से बड़ी संख्या में पर्चियां भी मिली हैं। इन पर्चियों में 20 से अधिक जूता कारोबारियों के नाम हैं। कारोबार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बीते एक महीने से चुनाव की वजह से पर्चियों का भुगतान नहीं हो रहा था। नकदी की जब्ती के डर से कारोबारी पर्चियां ही ले रहे थे। चुनाव खत्म होते ही पर्चियों का भुगतान होना था, जिसकी भनक आयकर विभाग को लग गई थी।
अब इन पर्चियों के सामने आने के बाद शहर के अन्य कारोबारियों की चिंता बढ़ गई है। इन पर्चियों में बाकी व्यापारियों के साथ हुए लेनदेन की जानकारी है, जिसके आधार पर आयकर विभाग बाकी व्यापारियों के टर्नओवर का हिसाब लगा सकता है।