11 मार्च से पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू कर दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा इस अधिनियम को 5 साल पहले ही संसद में पारित किया गया था। सरकार ने सोमवार से पूरे देश में CAA लागू कर दिया गया है। लेकिन, यह नया अधिनियम देश के कुछ हिस्सों में लागू नहीं किया गया है। दरअसल, सरकार ने देश के पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में यह नया नियम अभी लागू नहीं किया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के अनुसार, CAA को उन राज्यों में नहीं लागू किया जा सकता, जहां रहने वाले लोगों को यात्रा के लिए ‘इनर लाइन परमिट’ (ILP) लेने की जरूरत पड़ती हैं। यह आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है। इन क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू न करने की वजह संविधान की छठी अनुसूची के तहत जिन जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त परिषदें बनाई गई हैं, उन्हें भी सीएए के दायरे से बाहर रखा जाएगा। बता दें कि असम, मेघालय और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें हैं।
क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है, जिन्होंने लंबे समय से भारत में शरण ली हुई है। इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है। इस अधिनियम को संसद में 11 दिसंबर 2019 में पारित किया गया था। 12 दिसंबर 2019 को इस अधिनियम को राष्ट्रपति द्वारा भी मंजूरी दे दी गई थी। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) सिर्फ उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे।