CJI DY Chandrachud: आज के समय में स्कूल में गलती करने, पढ़ाई न करने या फिर अनुशासन में न रहने पर अध्यापकों द्वारा की गई पिटाई को बेहद क्रूर माना जाता है, लेकिन पहले के समय में शिक्षा प्राप्त करने वालों को दी जाने वाली ये सजाएं बहुत आम होती थी। देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को एक सेमिनार के दौरान अपने बचपन की ऐसी ही एक घटना को याद किया। उन्होंने कहा कि एक छोटी सी गलती के लिए अध्यापक ने उनकी बेंत से पिटाई की, जिसे वह जीवन में कभी नहीं भूल पाएंगे।
मैं टीचर से विनती करता रहा, लेकिन…
देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि जब वह पांचवीं कक्षा में थे, तब टीचर ने उनको एक छोटी सी भूल के लिए डंडे से पीटा था। उन्होंने कहा “मैं अध्यापक से प्रार्थना करता रहा कि मेरे हाथ पर नहीं, पीछे डंडे से मारिए, लेकिन अध्यापक ने मेरी एक नहीं सुनी और मुझे बेंत से पीटा।”
शारीरिक रूप से घाव तो मिट गए, लेकिन…
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि जिस दौरान यह घटना हुई, उस दौरान वह पांचवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। उन्होंने बताया कि शर्मिंदगी के कारण वह इस घटना के बारे में अपने माता-पिता को नहीं बता सके। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “दस दिनों तक मैंने अपनी दाहिनी हथेली को छिपाकर रखा था। शारीरिक रूप से घाव तो मिट गए, लेकिन मानसिक रूप से घाव सदा के लिए रह गए हैं।” डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बचपन में हुई इस घटना को वह जीवनभर नहीं भूल पाएंगे।
दरअसल, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ शनिवार को काठमांडू में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की ओर से जुवेनाइल जस्टिस पर आयोजित नेशनल सेमिनार में शामिल होने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने अपने बचपन की घटना को साझा किया। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं, इसका बच्चों के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि स्कूल का वो दिन वह कभी नहीं भूलेंगे, जब अपराधी न होते हुए भी टीचर ने उनको बेंत से पीटा था। उन्होंने कहा कि शारीरिक घाव तो भर गया, लेकिन मन के भीतर का घाव कभी नहीं भरेगा।
सेमिनार के दौरान भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में दायर उस याचिका का जिक्र किया, जिसमें नाबालिग बलात्कार पीड़िता के गर्भ को समाप्त करने की मांग की गई थी। केवल इतना ही नहीं, उन्होंने भारत की जुवेनाइल जस्टिस के सामने आने वाली सभी बड़ी चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की।