Climate Change: जलवायु परिवर्तन से पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचता है। इसका असर हमारी जेब पर भी होता है। हाल ही में आई जलवायु परिवर्तन से जुड़ी दो रिपोर्ट्स में इसको लेकर बड़ी चेतावनी दी गई है। अमेरिका के नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च (NBER) के अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार अगर 1960 से 2019 के बीच ग्लोबल वार्मिंग की समस्या नहीं होती तो आज दुनिया की जीडीपी 37% ज्यादा होती। ये दावा करती है कि आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग का आर्थिक नुकसान पहले की तुलना में 6 गुना ज्यादा है। आइए इस नई रिपोर्ट के बारे में जान लेते हैं।
पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर
जलवायु परिवर्तन से सिर्फ मौसम में बदलाव नहीं आ रहा है, बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर इसका असर देखने को मिल रहा है। दुनियाभर में बढ़ते तापमान, मौसम की मार, अनियमित बारिश से खेती के लिए उपयुक्त जगह बंजर होती जा रही हैं। मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में उपजाऊ इलाकों में सूखा पड़ रहा है। यहां रेगिस्तान की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे वहां आर्थिक अस्थिरता आ रही है।
ग्लोबल अर्थव्यवस्था हो रही कमजोर
दुनियाभर में जहां पहले से ही राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता का संकट मंडरा रहा है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन आग में घी डालने का काम कर रहा है। साल 2007 से 2010 तक सीरिया में पड़े लंबे सूखे ने वहां एक गृहयुद्ध को जन्म दिया। जलवायु परिवर्तन से आने वाली आपदाएं दुनिया में संसाधनों की कमी ला रही हैं। साल 2011 में थाईलैंड में आई बाढ़ ने इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल पार्ट्स की सप्लाई चेन को बुरी तरह प्रभावित किया था। इसका असर ग्लोबल अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा था।
जलवायु परिवर्तन से प्रभावित इलाके
वैसे तो जलवायु परिवर्तन का असर पूरी दुनिया पर देखने को मिलता है, लेकिन कुछ इलाके इससे बुरी तरह प्रभावित हैं। इनमें सूखे इलाके शामिल हैं, जिनके इकोसिस्टम के बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं है। यूएन ने अपनी एक रिपोर्ट में ऐसे ही एक रेंजलैंड इलाके के बारे में बताया है। रेंजलैंड वे इलाके होते हैं, जिसमें रेगिस्तानी झाड़ियां, पहाड़ी चारागाह, टुंड्रा और पठार आदि शामिल हों। रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से 50% से ज्यादा इकोसिस्टम बर्बाद हो चुके हैं।
भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे नुकसान हो सकता है?
जलवायु परिवर्तन का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिल रहा है। भारत में रहने वाली लगभग 55% आबादी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करती है। खेती हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। अगर फसलों की पैदावार कम होती है तो इसका सीधा असर गांव की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, जिससे शहरों में महंगाई बढ़ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो 2050 तक भारत में धान की पैदावार 20% तक कम हो सकती है।