Dr KS Rajanna: हौसला है… जज्बा है…. और फिर है लंबे संघर्ष की एक कहानी। इस कहानी को नया आयाम मिलता है। इस कहानी का सम्मान मिलता है। दिन गुरुवार, जगह राष्ट्रपति भवन। घड़ी की सुई 8:40 पर पहुंची तो एक नाम पुकारा गया। इस नाम की उद्घोषणा होते ही पूरा राष्ट्रपति भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह तालियां बज रहीं थी राष्ट्रपति भवन में पद्म श्री पुरस्कार पाने वाले डॉ. केएस राजन्ना के लिए। उनके नाम की उद्घोषणा के वक्त राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कैबिनेट के कई मंत्री मौजूद थे।
जज्बे को सलाम
सभी ने पूरे जोश और उत्साह के साथ खड़े होकर उस व्यक्ति का स्वागत किया। उस व्यक्ति के जज्बे को सलाम किया। इनकी कहानी को कोई भी सुनता है तो आंखों में आंसू आ जाते हैं। बताया जाता है कि डॉ. केएस राजन्ना को बचपन में पोलियो की वजह से अपने हाथ और पैर गंवाने पड़े थे।
परिवार की आखों में थे खुशी के आंसू
शुक्रवार की शाम जब डॉ. केएस राजन्ना पद्म पुरस्कार लेने के लिए राष्ट्रपति की तरफ बढ़े तो उनकी आंखों में चमक थी, सम्मान पाने की खुशी थी और चेहरे पर थी एक गर्व भरी मुस्कान। खुशी और गर्व से उनका सीना चौड़ा हो चुका था। उनके परिवार की आंखों में खुशी के आंसू थे तो वहीं उनके चाहने वालों में जबरदस्त उत्साह।
पीएम मोदी ने भी सम्मान में झुकाया सिर
राष्ट्रपति के पास जाने से पहले डॉ. केएस राजन्ना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह बढ़े। इस दौरान पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। हर कोई खुश था और उनके हौसले की तारीफ कर रहा था। कुछ ही पल में डॉ. केएस राजन्ना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने थे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ पकड़ा और शीश झुकाकर उनको नमन किया। पीएम मोदी ने भी उनके सम्मान में सिर झुकाया और उनका अभिवादन स्वीकार किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डॉ. केएस राजन्ना ने कुछ कहा, जिसका पीएम मोदी ने भी जवाब दिया। कुछ पल की ये बातचीत और मुलाकात कैमरों में कैद हो गई।
तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा पूरा हॉल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बगल में बैठे थे गृहमंत्री अमित शाह। डॉ. केएस राजन्ना ने उन्हें भी नमन किया और हाथ मिलाया। इसके बाद डॉ. केएस राजन्ना राष्ट्रपति की ओर बढ़ गए। जब राष्ट्रपति उन्हें पद्म श्री से सम्मानित कर रही थीं, तब पूरा हॉल तालियां बजा रहा था। हर कोई उनकी उपलब्धि पर गर्व कर रहा था। डॉ. केएस राजन्ना को सम्मानित करने वाले पत्र में दिव्यांगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वर्णित किया गया था। सोशल मीडिया पर उनका यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है।
कर्नाटक के रहने वाले हैं डॉ. केएस राजन्ना
डॉ. केएस राजन्ना कर्नाटक के मांड्या जिले के रहने वाले हैं। वे अपने माता-पिता की सातवीं संतान हैं। बचपन में पोलियो की वजह से उन्हें अपने हाथ-पैर गंवाने पड़े। इसके बावजूद भी उनका उत्साह कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने न सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि लेखन और हस्तशिल्प के साथ ही डिस्कस थ्रो, ड्राइविंग और स्विमिंग भी सीखी। 1975 में उन्होंने स्टेट सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। 1980 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा भी हासिल कर लिया।
पैरालंपिक में जीते दो मेडल
डॉ. राजन्ना साल 2003 में पैरालंपिक में दो मेडल भी जीत चुके हैं। उनको 54 साल की उम्र में राज्य में कमिश्नर नियुक्त किया गया था। राजन्ना मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारक है। उन्होंने साल 2002 में पैरालिंपिक में डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक और तैराकी में सिल्वर पदक जीतकर एक खिलाड़ी के रूप में प्रशंसा हासिल की है। उन्होंने अपना खुद का बिजनेस शुरू किया। इसमें उन्होंने शारीरिक रूप से विकलांगों सहित 500 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया।
डॉ. राजन्ना के अनुसार, दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए कोई राजनीतिक आरक्षण नहीं है। ऐसे में उन्होंने उम्मीद जताई कि यह पुरस्कार राज्य और केंद्र सरकार को एक दिव्यांग व्यक्ति को विधान परिषद या राज्यसभा के सदस्य के रूप में नियुक्त करने के लिए प्रेरित करेगा।