ये कहानी है कल्पनाथ राय की। उनका जन्म 4 जनवरी 1941 को जिला मऊ के घोसी में गांव सेमरी जमालपुर में हुआ था। उनके पिता अभय नारायण किसान थे। कल्पनाथ राय की पढ़ाई प्राइमरी स्कूल से हुई। साथ ही कॉलेज की पढ़ाई गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पूरी की। उस समय पर यूनिवर्सिटी में छात्राओं को राजनीतिक का बहुत क्रेज था। कल्पनाथ राय ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी में छात्र संघ का चुनाव जीता और अध्यक्ष बन गए। इसके बाद से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई।
कल्पनाथ राय ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी और समाजशास्त्र में एमए किया। फिर एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 1962 में पं. जवाहर लाल नेहरू चुनाव के काम के लिए गोरखपुर यूनिवर्सिटी पहुंचे। तब कल्पनाथ राय ने काला झंडा दिखाते हुए पं. जवाहर लाल नेहरू का विरोध किया। जब पुलिस वालों ने कल्पनाथ राय को पकड़ा तब नेहरू जी ने कहा कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात रखने का हक है। साथ ही उन्हें पुलिस हिरासत से छुड़वाया। वहीं, से कल्पनाथ राय चर्चा में आ गए और वर्ष 1963 में 22 साल की उम्र में कल्पनाथ राय समाजवादी युवजन सभा के जनरल सेक्रेटरी बन गए।
1967 में कल्पनाथ राय ने पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट से लोकसभा का चुनाव लड़ा। कल्पनाथ राय चौथे नंबर पर थे। उनको 49 हजार वोट मिले। लेकिन, कल्पनाथ राय को यह पता हो गया की धीरे-धीरे ही सही वो घोसी की जनता के दिलों में अपनी जगह बना रहे हैं। 67 वर्ष के देव प्रकाश राय मऊ के वरिष्ठ समाजसेवी बताते हैं कि उस समय राजनारायण कब क्या बोल दें, कोई नहीं जानता था। राजनारायण का बयान हमेशा चर्चा और विवाद में रहता था। इंदिरा गांधी को ऐसे नेता की तलाश थी, जो राजनारायण को उनकी भाषा में समझा सके।
इंदिरा गांधी ने इस्पात मंत्री चंद्रजीत यादव से पूछा कि ये कल्पनाथ राय कौन हैं। उनके बारे में कुछ जानते हैं। तब चंद्रजीत ने कहा कि वो लड़का पॉलिटिक्स में बहुत एक्टिव रहता है। जमीन से जुड़ा है। अभी संयुक्त सोशलिस्ट पाटी के राष्ट्रीय केंद्रीय आयोग के अध्यक्ष हैं। उसके बाद इंदिरा गांधी की खोज पूरी हुई। 1971 में कल्पनाथ राय पार्टी में शामिल हो गए। उन्हें कार्यकारी समिति का सदस्य बना दिया गया। 1974 में राज्यसभा का सदस्य बना दिया गया। कल्पनाथ राय को तीन बार 1986 तक राज्यसभा का सदस्य बनाया गया।
कल्पनाथ राय 1980 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मऊ से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1985 में उनका टिकट ही काट दिया गया। 19 नवंबर 1988 में मऊ को यूपी के नए जिले में गठन किया गया। कल्पनाथ राय ने मऊ में परिवहन, ऊर्जा, सड़क और संचार के विकास के लिए बहुत जोर लगाया।
नतीजा यह निकला कि कोलकता-चेन्नई में शहरों के लिए मऊ से ट्रेने मिलने लगीं। 32 टेलीफोन एक्सचेंज लगाए गए और बिजली उपकेंद्र बनाये गये। घोसी में चीनी मिल की स्थापना की गई और किसानों की आमदनी बढ़ने लगी।
कल्पनाथ राय की खूब चर्चा होने लगी। उसके बाद 1989 में लोकसभा का चुनाव का टिकट दिया गया। इस चुनाव में कल्पनाथ राय को 67 हजार वोटों से जीत हासिल हुई। कार्यकाल आगे बढ़ा और कल्पनाथ राय फायर ब्रांड सांसद बन गए। 1992 में मुंबई के जेजे हॉस्पिटल में शूटआउट हुआ और दाऊद इब्राहिम के विरोधी की हत्या कर दी गई थी। इस केस में कल्पनाथ राय के भतीजे वीरेंद्र राय और पूर्वाचल के डॉन बृजेश का नाम सामने आया, कल्पनाथ राय उस समय ऊर्जा मंत्री थे।
जेजे हॉस्पिटल केस का आरोप कल्पनाथ राय पर आया, जांच आगे बढ़ी और इस बीच 1993-94 में कल्पनाथ राय खाद्य मंत्रालय में राज्यमंत्री बन गए। दाऊद से उनके तार जुड़ते मिले और चीनी घोटाले में भी उनका नाम सामने आया। इसके बाद दोनों केस में उन्हें जेल जाना पड़ा। पार्टी के लोगों ने कल्पनाथ राय से दूरी बना ली, लेकिन इस बीच पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने हमेशा उनका साथ दिया। चंद्रशेखर अक्सर कल्पनाथ राय से मिलने जेल जाते रहते थे। 1996 में लोकसभा चुनाव का ऐलान हुआ। कांग्रेस पार्टी ने कल्पनाथ राय का टिकट काट कर राजकुमार राय को प्रत्याशी बनाया। तब कल्पनाथ राय ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया।
वहीं, मऊ में पहली बार 71 प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया था, लेकिन डॉक्यूमेंट की जांच के बाद 17 प्रत्याशियों का पर्चा कैंसिल कर दिया गया। 54 प्रत्याशी चुनाव के लिए मैदान में उतरे। पहली बार मुख्तार अंसारी सांसद चुनाव में उतरे थे। चुनाव हुआ और रिजल्ट सामने आया। कई आरोपों से घिरे कल्पनाथ राय चुनाव जीत गए। कल्पनाथ राय ने कहा कि अगर मैं जीतता हूं तो में मऊ को मिनी लखनऊ बनाऊंगा।