Haldwani Ramlila: कुमाऊं मंडल के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की रामलीला का इतिहास 141 साल पुराना है। कई दशकों से शहर स्थित रामलीला मैदान में इसका आयोजन किया जा रहा है। हल्द्वानी ही नहीं, बल्कि कई अन्य शहरों से भी लोग रामचरित्र पर आधारित रामलीला को देखने आते हैं। शनिवार को विजयदशमी पर्व का आयोजन किया जाएगा।
विजयादशमी को लेकर तैयारियां पूरी
हल्द्वानी में विजयादशमी की तैयारियां पूरी हो गई हैं। इस मौके पर कुमाऊं मंडल का सबसे बड़ा रावण का पुतला फूंका जाएगा। बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक रावण का 60 फीट का पुतला हल्द्वानी रामलीला मैदान में जलाया जाएगा। यह कुमाऊं का सबसे बड़ा रावण है। रावण दहन को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है। हल्द्वानी के रामलीला मैदान में रावण के पुतले के साथ-साथ कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले का भी दहन होगा।
आज हम आपको रामलीला में रावण परिवार के पुतले बनाने वाले शख्स शंभू बाबा के बारे में बताते हैं। शंभू बाबा का परिवार पिछले तीन पीढ़ियों से हल्द्वानी में आयोजित होने वाले रामलीला के लिए रावण के परिवार का पुतला बनाने का काम कर रहे हैं। रावण के परिवार के पुतले बनाने के लिए एक दर्जन से अधिक कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं।
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तीन पीढ़ियों से रावण के परिवार का पुतला बने रहे शंभू बाबा
शंभू बाबा ने इस विरासत को बचाने के लिए एक दर्जन से अधिक लोगों को इस पेशे से जोड़ा है, जिससे कि लोग अपने परिवार के पालन पोषण के साथ-साथ भगवान श्री राम की सेवा कर सके। शंभू बाबा अब बुजुर्ग हो चुके हैं, लेकिन उनके शिष्य उनकी इस परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
प्रदूषण मुक्त है रावण का पुतला (Haldwani Ramlila)
शंभू बाबा के शिष्य वीरपाल ने बताया कि उनके द्वारा तैयार किए जा रहे पुतले पूरी तरह प्रदूषण से मुक्त हैं। पुतले घास और कागज से बनाए जा रहे हैं। इस बार 60 फीट ऊंचे रावण के पुतले के दोनों आंख और मुंह चलते रहेंगे, जो पूरी तरह से लाइटिंग से सजाई जाएगी।