Manusmriti: दिल्ली विश्वविद्यालय के LLB के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाने के प्रस्ताव को विवाद होने के बाद खारिज कर दिया गया है। डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि छात्रों को मनुस्मृति नहीं पढ़ाई जाएगी। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के कुलपति (Vice Chancellor) द्वारा अपने लॉ फैकल्टी के पाठ्यक्रम में ‘मनुस्मृति’ (Manusmriti) को शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले का स्वागत किया। साथ ही कहा कि इसका कड़ा विरोध स्वाभाविक था और इस प्रस्ताव को रद्द करने का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है।
बसपा सुप्रीमो का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ विभाग में मनुस्मृति पढ़ाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध स्वाभाविक है और इस प्रस्ताव को रद्द करने का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है, जो भारतीय संविधान और उसके समतावादी और कल्याणकारी उद्देश्यों के सम्मान और गरिमा के खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि मनुस्मृति उन सिद्धांतों से मेल नहीं खाती है, जिन पर डॉ भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान की रचना की थी और मनुस्मृति को पाठ्यक्रम में शामिल करने के ऐसे प्रयास उचित नहीं थे।
मायावती ने कहा, ”परम पूज्य बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar) ने सर्वमान्य भारतीय संविधान की रचना, खासकर उपेक्षित लोगों और महिलाओं के स्वाभिमान के साथ-साथ मानवतावाद और धर्मनिरपेक्षता को केंद्र में रखकर की, जो मनुस्मृति से कतई मेल नहीं खाता। इसलिए ऐसा कोई भी प्रयास कतई उचित नहीं है।”
दिल्ली यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाई जाएगी मनुस्मृति
दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ शिक्षकों की तरफ से सुझाव दिया गया था कि पहले और आखिरी सेमेस्टर के छात्रों को मनुस्मृति पढ़ाई जाए। इसके लिए मनुभाषी के साथ ‘मनुस्मृति’ और ‘मनुस्मृति की व्याख्या’ नाम की दो किताबें पढ़ाए जाने का सुझाव दिया गया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति योगेश सिंह ने बताया कि उन्होंने डीयू के लॉ अंडर ग्रेजुएट कोर्स में मनुस्मृति पढ़ाने के लॉ फैकल्टी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश सिंह द्वारा कानून के पाठ्यक्रम में ‘मनुस्मृति’ को शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज करने पर कहा, “कल हमारे पास मनुस्मृति को लॉ फैकल्टी कोर्स में शामिल करने की कुछ सूचना आई। मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से बात की। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि कुछ लॉ फैकल्टी अध्याय में कुछ बदलाव करना चाहते हैं, लेकिन जब यह प्रस्ताव दिल्ली विश्वविद्यालय के पास आया तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया। कल ही विश्वविद्यालय के कुलपति ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। हम सभी अपने संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। किसी भी स्क्रिप्ट के किसी भी विवादित हिस्से को शामिल करने का कोई सवाल ही नहीं है। कल ही कुलपति ने इसे खारिज कर दिया।”
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा अपने लॉ फैकल्टी के पाठ्यक्रम में ‘मनुस्मृति’ को शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले का स्वागत किया। साथ ही कहा कि इसका कड़ा विरोध स्वाभाविक था और इस प्रस्ताव को रद्द करने का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है।