इस्लाम धर्म में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जो पाक, नेकी और इबादत का महीना कहलाता है। कहा जाता है कि इस्लाम में रमजान के बाद मुहर्रम का खास स्थान होता है। मुहर्रम इस्लामिक चंद्र कैलेंडर का पहला महीना कहलाता है। माह-ए-मोहर्रम की अलग-अलग तिथियों का भी मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच बड़ा विशेष महत्व है।
कहा जाता है कि विशेषकर मुहर्रम का 10वां दिन खास होता है। इसे यौम-ए-आशूरा कहा जाता है। वहीं, इस बार मुहर्रम 17 जुलाई 2024 को है। हालांकि इस्लाम में हर त्योहार चांद के दीदार होने के बाद ही मनाया जाता है। ऐसे में आज यानी 16 जुलाई 2024 को चांद का दीदार होने के बाद ही आधिकारिक तौर पर मुहर्रम की तारीख का ऐलान किया जाएगा।
मुसलमानों के लिए यह शोक, गम और त्याग का त्योहार होता है। इसलिए इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग
काले रंग के कपड़े पहनते हैं और कर्बला की जंग में शहादत होने वालों की याद में मातम मनाते हुए ताजिया जुलूस निकालते हैं। हालांकि मुहर्रम अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जैसे शिया समुदाय के लोगों द्वारा ताजिया निकाला जाता है, मजलिस पढ़े जाते हैं और दुख जाहिर किया जाता है, तो वहीं सुन्नी समुदाय वाले रोजा रखकर नमाज अदा करते हैं।
यौम-ए-आशूरा मुहर्रम के 10वें दिन को कहा जाता है। इस्लामिक के अनुसार, इसी दिन कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी शहीद हो गए थे, इसलिए इस दिन को खुशी के उत्सव के बजाय शोक के रूप में मनाया जाता है।