Kuwait Fire: कुवैत के मंगाफ शहर में बुधवार को सात मंजिला इमारत में आग लगने से 45 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें वाराणसी के एक 36 वर्षीय इंजीनियर प्रवीण माधव सिंह भी शामिल थे। वे दो महीने पहले 15 दिन की छुट्टी पर अपने घर आए थे। परिवार वालों के साथ ये वक्त कब बीता, पता ही नहीं चला। प्रवीण ने जाते वक्त अपने पिता से कहा कि इस बार कुवैत जाने का दिल नहीं कर रहा है।
NBTS कंपनी में प्रवीण माधव सिंह 9 साल से काम कर रहे थे। वे वहां सेल्स कोऑर्डिनेटर पद पर नियुक्त थे। कंपनी की पॉलिसी के मुताबिक, 10 साल पूरे होने पर ही कर्मचारी को सभी तरह के फंड दिए जाते हैं। इसलिए मजबूरी में प्रवीण को कुवैत जाना पड़ा। उन्होंने अपने पिता से जाते वक्त कहा था कि वह इस दिसंबर तक ही कुवैत में काम करेंगे, लेकिन किसी को क्या पता था कि यह प्रवीण की अपने माता-पिता, पत्नी और दोनों बच्चियों से आखिरी मुलाकात है।
दरअसल, प्रवीण ने राउलकेला से बीटेक की पढ़ाई की, जिसके बाद वे कुवैत की ऑयल और फैब्रिक बनाने वाली कंपनी NBTS में काम करने लगे। इंजीनियर मूल रूप से गाजीपुर के करहिया गांव के रहने वाले थे। उनका भरा-पूरा परिवार है, जिसमें पत्नी रूपा सिंह, बड़ी बेटी मनीषा (8 साल) और छोटी बेटी जान्हवी (10 माह) है। इसके अलावा घर में मां मंजू देवी और पिता जयप्रकाश भी हैं। फिलहाल, प्रवीण का शव कुवैत से दिल्ली आ चुका है।
कुवैत से भारत पहुंचे मृतकों के शव
बता दें, कुवैत अग्निकांड में मारे गए लोगों के पार्थिव शरीर को लेकर भारतीय वायुसेना का सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस विमान शुक्रवार शाम को पालम टेक्निकल एयरपोर्ट पहुंचा। वहीं, भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया, कमलजीत सहरावत, बांसुरी स्वराज और अन्य नेता मृतकों के पार्थिव शरीर लेने के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद रहे।