भाजपा ने केंद्र में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाई है। वहीं, कैबिनट के गठन के बाद अब पीएम मोदी ने अजीत डोभाल पर फिर से भरोसा जताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है। साथ ही, डॉ. पीके मिश्रा को भी दोबारा प्रधानमंत्री का प्रधान सचिव नियुक्त किया है। अजीत डोभाल को पीएम मोदी का आंख और कान कहा जाता है। अजीत डोभाल साल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इससे पहले अजीत डोभाल आईबी प्रमुख थे। साल 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी थी, तो उनको पीएम मोदी का सलाहकार नियुक्त किया गया था।
अजीत डोभाल फिर बनें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
जानकारी के लिए बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं, जिनका मुख्य काम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देना होता है। एनएसए का यह पद पहली बार 1998 में तब बनाया गया था, जब देश में दूसरी बार परमाणु परीक्षण किए गए थे। सरकार में यह काफी अहम पद होता है। अजीत डोभाल ने इस पद पर रहते हुए कई अहम फैसले लिए हैं, जिनमें 370, सर्जिकल स्ट्राइक और डोकलाम जैसे फैसले शामिल हैं। इसके अलावा पुलवामा एक ऐसा अहम फैसला था, जिसे पाकिस्तान कभी नहीं भूला सकता है। वायुसेना और नौसेना के शीर्ष अधिकारियों से रणनीति पर चर्चा करने से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर पल की जानकारी देने तक उन्होंने अहम भूमिका निभाई हैं।
कौन हैं अजीत डोभाल?
अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। वह काफी तेज तर्रार अधिकारी थे। उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जो आम तौर पर वीरता के लिए सशस्त्र बलों को दिया जाता है। इसके अलावा वह भारतीय पुलिस पदक पाने वाले सबसे कम उम्र के अधिकारी थे। वह विवेकानंद के गैर-सरकारी संगठन की एक शाखा विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के निदेशक के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।