भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने सोमवार को गृह सचिवों को हटा दिया। कुल 6 राज्यो के होम सेक्रेटरी हटाए गए। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें उत्तर प्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसने अपने अधिकारी संजय प्रसाद को हटाने के आदेश का विरोध किया था। हालांकि, चुनाव आयोग अपने फैसले पर अडिग रहा।
संजय प्रसाद को हटाने पर विरोध?
1995 बैच के आईएएस अधिकारी संजय प्रसाद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सबसे भरोसेमंद अधिकारी माना जाता है। उन्होंने सितंबर 2022 में प्रमुख सचिव (गृह) का पदभार संभाला था।
आयोग द्वारा गृह सचिवों को हटाने के आदेश के कुछ ही घंटों के भीतर, सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर फैसले का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि प्रसाद ने लोकसभा चुनाव की घोषणा और आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय का अतिरिक्त कार्यभार छोड़ दिया था, इसलिए किसी भी तरह के हितों के टकराव की संभावना नहीं है।
आयोग ने क्या फैसला लिया?
फिर भी, आयोग ने मिश्रा को जवाब दिया और अपने आदेश को दोहराते हुए और चुनाव अवधि के दौरान प्रसाद के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए तीन नामों का पैनल जमा करने के लिए कहा। एक सूत्र ने बताया, “हालांकि आयोग ने राज्य सरकार के रुख पर विचार किया, लेकिन आदेश की फिर से पुष्टि की गई।”
सूत्रों के अनुसार, जहां सभी राज्यों ने उसी दिन आयोग के आदेश का पालन किया, उत्तर प्रदेश ने विरोध किया लेकिन बाद में फैसला स्वीकार किया।
क्यों लिया गया है गृह सचिवों को हटाने का फैसला?
छह गृह सचिवों को हटाने का चुनाव आयोग का फैसला राज्य की नौकरशाही और सत्तारूढ़ पार्टी के बीच स्पष्ट विभाजन स्थापित करने का प्रयास है। ताकि कोई भी गृह सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय के कार्यों में शामिल न हो। बताया गया है कि ये कदम एक समान चुनाव अवसर सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है।
बता दें कि गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ही ऐसे राज्य थे जहां गृह सचिव अपने-अपने मुख्यमंत्री कार्यालय के कामकाज में भी शामिल थे।