अमेठी लोकसभा सीट का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प है। ये सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। लेकिन अब यहां बीजेपी का कमल खिला हुआ है। अगर अमेठी लोकसभा सीट की बात करें तो अमेठी और रायबरेली जिले की 5 विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है। चार विधानसभा सीटें अमेठी जिले की हैं और 1 सीट रायबरेली जिले की आती है। लेकिन 2019 का लोकसभा चुनाव अमेठी लोकसभा सीट के लिए पूरी तरह से गेमचेंजर साबित हुआ था, क्योंकि यहां से गांधी फैमिली का सालों साल पूरा वर्चस्व एक झटके में टूट गया। भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हार का स्वाद चखाया था।
अमेठी लोकसभा सीट का इतिहास
अमेठी लोकसभा सीट पर अब तक 16 बार लोकसभा का चुनाव और दो बार उपचुनाव हुआ है। इसमें से कांग्रेस ने 16 बार जीत हासिल की। जबकि 1977 में भारतीय लोकदल और 1998 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया था। हालांकि अब तक बीएसपी का यहां से खाता ही नहीं खुला तो एसपी लगातार 3 चुनावों से इस सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। वहीं, साल 1951-52 में पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ था। उस दौरान अमेठी का कोई वजूद नहीं था। तब ये इलाका सुल्तानपुर दक्षिण लोकसभा सीट में आता था। यहां से तब कांग्रेस के बालकृष्ण विश्वनाथ केशकर चुनाव जीते थे।
1957 में मुसाफिरखाना लोकसभा सीट अस्तित्व में आई, जो मौजूदा समय में अमेठी जिले की एक तहसील है। कांग्रेस के बी वी केशकर फिर से यहां के सांसद बने। 1962 के लोकसभा चुनाव में राजा रणंजय सिंह मुसाफिरखाना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। राजा रणंजय सिंह अमेठी राजघराने के 7वें राजा थे। रणंजय सिंह वर्तमान राज्यसभा सांसद संजय सिंह के पिता थे। फिर 1967 में अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। यहां से कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी ने जीत हासिल की थी।
- 1971- विद्याधर वाजपेयी
- 1977- रविन्द्र प्रताप सिंह
- 1980- संजय गांधी, इस सीट पर पहली बार नेहरू-गांधी परिवार के किसी सदस्य ने चुनाव लड़ा था। लेकिन, 23 जून 1980 को संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत हो गई।
- 1981 में हुए उपचुनाव में इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी अमेठी से सांसद चुने गए।
- 1984- राजीव गांधी
- 1989 और 1991 के लोकसभा चुनावों में राजीव गांधी फिर से अमेठी से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। लेकिन इसके बाद 21 मई को राजीव गांधी प्रचार करने तमिलनाडु गए, जहां उनकी हत्या कर दी गई।
- 1991- अमेठी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ और कांग्रेस के ही सतीश शर्मा सांसद बने।
- 1996- सतीश शर्मा फिर से सांसद चुने गए।
- 1998- बीजेपी ने अमेठी राजघराने के वारिस संजय सिंह को चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत भी हासिल की। ये दूसरा मौका था जब कांग्रेस इस सीट से हारी थी।
- 1999- राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी चुनावी मैदान में ऊतरीं और अमेठी की सांसद बनीं। एक बार फिर से इस सीट को अपने नाम कर लिया।
- 2004- अमेठी से राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी पहली बार सांसद चुने गए। राहुल 3 लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते।
- 2009- राहुल गांधी फिर से सांसद चुने गए। इस बार जीत का अन्तर 3,50000 से भी ज्यादा का रहा।
- 2014- राहुल गांधी इस सीट से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए।
- 2019- ये वो साल था, जिसने अमेठी लोकसभा सीट का इतिहास ही बदल दिया था। यहां से बीजेपी के टिकट पर स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के राहुल गांधी को हरा दिया।
वहीं, अगर बात साल 2024 के लोकसभा चुनाव की करें तो भाजपा ने एक बार से स्मृति ईरानी पर ही भरोसा जताया है। जबकि कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा पर दांव खेला है। हालांकि अब देखना ये होगा कि इस बार कौन इस सीट से बाजी मारता है।