Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पहले से ही अपने लक्ष्य तय कर रखा है। उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर पार्टी ने जीत का दावा ठोक रखा है। इसके लिए पार्टी जबरदस्त तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतर चुकी है, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचाने की डगर आसान नहीं दिख रही। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी को साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में हारी हुई 14 सीटें किसी भी हाल में जीतना होगी।
आजमगढ़ और रामपुर की सीटों पर बीजेपी को उपचुनाव में जीत मिली थी। वहीं प्रदेश की 11 लोकसभा सीट ऐसी है जिनमें हार और जीत का अंतर 25 हजार मतों से कम का था। इनमें से बीजेपी ने 9 सीटें जीती थी। मेरठ मुजफ्फरनगर बागपत सुल्तानपुर चंदौली कन्नौज बदायूं जैसी सीटों पर भी हार जीत का अंतर कम था। साल 2019 में हारी हुई 16 सीटों में से आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी से छीन ली थी। लेकिन आजमगढ़ में बीजेपी के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ की जीत का अंतर 8679 वोटो का ही रहा था। जबकि रामपुर में बीजेपी के घनश्याम लोधी करीब 42 हजार वोटो से जीत दर्ज किए थे। मैनपुरी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिनका तिलिस्म अभी तक बीजेपी नहीं तोड़ पाई है।
अब 2024 की बात करें तो बीजेपी को प्रदेश के करीब दो दर्जन सीटों पर विपक्ष से कड़ी चुनौती मिल सकती है। इसमें हारी हुई सीटों के साथ ही जीती हुई वह सीट शामिल हैं जहां हार जीत का अंतर अधिक नहीं था। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने काफी पहले ही इन लोकसभा क्षेत्र को रेड जोन में शामिल करते हुए राष्ट्रीय महासचिव भाजपा सुनील बंसल को जिम्मेदारी देते हुए उनकी जीतने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया था। भाजपा द्वारा जीती सीटों में से 7 सीट 15 हजार वोटो तक के मार्जिन वाली रही थी। हार जीत का सबसे कम अंतर मछली शहर सीट पर था जहां बीजेपी के बीपी सरोज ने बीएसपी के त्रिभुवन राम को मामूली अंतर से हरा दिया था। मेरठ में बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने बसपा के हाजी याकूब पर 4729 वोट से जीत पाई थी।
मुजफ्फरनगर में बीजेपी के संजीव बालियान रालोद के चौधरी अजीत सिंह को 6526 वोटो से हराकर विजई हुए थे। कन्नौज की अगर बात की जाए तो बीजेपी के सुब्रत पाठक समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव से 12353 वोटो से जीते थे। चंदौली सीट पर केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडे की जीत का अंतर 13959 वोटो का था। सुलतानपुर सीट पर बीजेपी की मेनका गांधी 14526 वोटो से जीती थी जबकि बलिया सीट पर भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त 15519 वोटो से जीते थे। वहीं दूसरी ओर कम मार्जिन वाली एक सीट बसपा के खाते में आई थी। श्रावस्ती सीट पर बसपा के राम शिरोमणि वर्मा ने बीजेपी के दद्दन मिश्रा को 5320 वोटो से हराया था। तमाम सियासी उलट फेर ने बीजेपी की उम्मीदों को पंख लगाए हैं 2019 में सपा बसपा और आरएलडी साथ में थे इसी समीकरण ने महागठबंधन को 15 सीट जिता दी थी अब हालात बदल चुके हैं बसपा अलग से मैदान में है जबकि आरएलडी और सुभासपा अब एनडीए का हिस्सा बन चुका है इस कारण ही भाजपा सभी सीट जीतने का दावा कर रही है।