एनडीए और इंडिया गठबंधन से ऊंची दूरी बनाकर रखने वाली बीएसपी के अंदर खाने की राजनीति पार्टी को परेशान कर रही है। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने सूबे की 80 में से 10 सीट जीती थी लेकिन एक-एक कर बीएसपी के सांसद पार्टी का साथ छोड़ते जा रहे हैं। अंबेडकर नगर से बीएसपी के सांसद रितेश पांडे ने बीजेपी का दामन थाम लिया है और इसके बाद माना जा रहा है कि अन्य कई सांसद भी बीजेपी या अन्य दलों के संपर्क में आकर पाला बदल सकते हैं। गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी समाजवादी पार्टी में पहले ही जा चुके हैं और उन्हें सपा ने अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है।
अमरोहा के सांसद कुंवर बासित अली और जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव ने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर खुद को पार्टी से अलग करने के संकेत दे दिए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसी महीने बीएसपी के दो और सांसद पाला बदल कर सकते हैं। इसमें लालगंज की संसद संगीता आजाद का भी नाम शामिल है सूत्रों का कहना है कि पहले श्याम सिंह यादव भी बीजेपी के संपर्क में थे लेकिन पार्टी की ओर से टिकट का आश्वासन नहीं मिलने के बाद उन्होंने कांग्रेस का रुख किया। इंडिया गठबंधन से भी दूरी इसका कारण बताई जा रही है।
भाजपा सूत्रों का दावा है कि लोकसभा चुनाव से पहले पहले पाला बदलकर आने वाले सभी सांसदों को लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया जा सकता। पार्टी इसके लिए टिकट देने की शर्त स्वीकार नहीं कर रही हालांकि ऐसे सांसद जो अपनी सीट पर भाजपा के सामाजिक समीकरण के खांचे में फिट बैठेंगे उन्हें टिकट जरूर दिया जाएगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी गहरी पैठ रखने वाली बीएसपी के सामने दो बड़ी चुनौतियां दिख रही है। एक ओर भाजपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। तो दूसरी तरफ सपा और कांग्रेस बीएसपी के कुछ सांसद सपा में अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं। घोसी से बसपा सांसद अतुल राय भी किसी ऐसे दल से चुनाव लड़ सकते हैं। जो बड़े दलों का सहयोगी है।
सहारनपुर के सांसद हाजी फजलुर रहमान को भी ऐसे ही हालातो का सामना करना पड़ रहा है सहारनपुर की सीट कांग्रेस के पाले में जा चुकी है कांग्रेस इमरान मसूद को प्रत्याशी बनाएगी इसे लेकर अभी संशय बना हुआ है इमरान की सियासी डोर कमजोर हुई तो कांग्रेस हाजी फजलुर रहमान पर दाव लगा सकती है इस बीच पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि बीएसपी के सांसदों को इस कसौटी पर खरा उतरने के साथ ही स्वयं जांचना होगा कि उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता का सही ध्यान रखा है या नहीं। क्या अपने क्षेत्र में पूरा समय दिया साथ ही क्या उन्होंने पार्टी और मूवमेंट के हित में समय-समय पर दिए गए निर्देशों का पालन किया। बीएसपी सूत्रों की माने तो पार्टी में चर्चा है कि सभी अपने स्वार्थ में इधर-उधर भटक रहे हैं।