इस बार बीजेपी ने पीलीभीत सीट से वरुण गांधी का टिकट काट दिया हैं। इसके बाद नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को पीलीभीत के लोगों के लिए एक भी चट्ठी लिखी है। वरुण द्वारा लिखी गई इस चिट्ठी में पीलीभीत से उनके उनके मजबूत रिश्ते के बारे में लिखा गया है। लेकिन, चिट्ठी के आखिरी में भाजपा नेता ने अपना दर्द बयां किया है। वरुण गांधी के चिट्ठी ने सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है। लोग वरुण की इस चिट्ठी को ढाई साल पहले लिखी गई चिट्ठी से जोड़ रहे हैं।
चिट्ठी में वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के लिए भावुक पत्र लिखा है। बीजेपी से टिकट कटने के बाद अपने पत्र के जरिए वरुण गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र से जुड़ी पुरानी यादों को भी ताजा किया है। इस चिट्ठी के जरिये वैसे तो वरुण गांधी ने अपने क्षेत्र की जनता के लिए अपना प्रेम जाहिर किया है।
ढ़ाई साल पुराना है मामला
वरुण गांधी द्वारा लिखे गए इस चिट्ठी में ‘कीमत चुकाने’ का जिक्र किया गया है। अब लोग इसे ढाई साल पहले प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी से जोड़ रहे हैं। दरअसल, वरुण गांधी ने 20 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। वरुण ने इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का समर्थन किया था। चिट्ठी में उन्होंने पीएम से यह मांग की थी कि किसान आंदोलन में मारे गए सभी 700 किसानों के लिए एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए। इसके अलावा उन्होंने लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी पर तत्काल कार्रवाई करने की भी मांग की थी।
क्या लिखा था वरुण गांधी ने पुरानी चिट्ठी में
कहा जाता है कि वरुण गांधी की इस चिट्ठी में विपक्ष के नेता और किसान आंदोलन में भाग लेने वाले आंदोलनकारियों की मांग एक ही थी। साथ ही वरुण ने केंद्र सरकार के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर हमला करते हुए कहा था कि देश के किसानों ने भीषण बारिश, तूफान और विपरीत मौसम का सामना करते हुए भी अपने आंदोलन को अच्छे से जारी रखा, इसके लिए किसानों को बधाई देनी चाहिए। यदि सरकार सही समय पर कृषि कानूनों को वापस लेने फैसला कर लेती तो, 700 किसानों की जान बचाई जा सकती थी। जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी जान गवाई है। लोगों का मानना है कि यही कारण है कि उनके और भाजपा के रिश्ते खराब हुए हैं।
वरुण का छलका दर्द
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, वरुण गांधी द्वारा लिखे गए खत में इशारों-इशारों में उन्होंने अपना दर्द बयां किया है। वरुण ने लोगों के लिए उठाए गए उन सभी आवाजों के बारे में लिखा है। यही कारण है कि उन्होंने अपनी चिट्ठी की अंतिम लाइनों में जनता के लिए ऐसी आवाजों को लगातार उठाते रहने का वादा किया है। वरुण ने इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने की बात कही है। सियासी गलियारों में उस कीमत का सीधा नाता पीलीभीत में काटे गए उनके टिकट के तौर पर देखा जा रहा है।