Tirupati Temple Prasad: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप दिए जाने वाले लड्डुओं में जानवरों की चर्बी, FAT और फिश ऑयल मिले होने की पुष्टि की गई है।
आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने YSR कांग्रेस पार्टी की पिछली सरकार पर आरोप लगाया है कि तिरुपति मंदिर में उनकी पिछली सरकार के दौरान प्रसाद और भोग के लिए बनाए जाने वाले लड्डुओं में घी की जगह जानवरों की चर्बी और उनके फैट का इस्तेमाल किया जाता था।
तिरुपति प्रसादम विवाद पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, “जांच से यह स्पष्ट है कि इसमें मछली का तेल मिलाया गया था। यह अभी भी पता नहीं चल पाया है कि यह सब कब से हो रहा है। यह एक साजिश है और सनातन धर्म पर हमला है। सरकार को इसे बहुत गंभीरता से लेना चाहिए और जांच करानी चाहिए। दोषी को सजा मिलनी चाहिए।”
क्या है पूरा मामला?
टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर सीएम चंद्रबाबू नायडू ने YSR Congress पर यह आरोप लगाए हैं। यह रिपोर्ट इसी साल 23 जुलाई को जारी हुई थी। इस रिपोर्ट में प्रसाद के लिए उपयोग होने वाले लड्डुओं के सैंपल्स की जांच की गई थी, जिसमें यह पाया गया कि इन लड्डुओं में जिस घी का इस्तेमाल किया जा रहा है, वो घी मिलावटी है और इस घी में एनिमल टैलो, फिश ऑयल और लार्ड की मात्रा भी हो सकती है।
एनिमल टैलो का मतलब अगर आप नहीं जानते तो बता दें कि इसका मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है। वहीं, लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी से होता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इसी घी में फिश ऑयल की मात्रा भी हो सकती है।
तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में लड्डू दिए जाते हैं। इस पूरी व्यवस्था का संचालन हर दो साल में आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के द्वारा किया जाता है। इस समिति का नाम है तिरुमला तिरुपति देवस्थानम्।
समिति प्रसाद के लड्डुओं को बनाने के लिए सभी सामग्री को खरीदती है। समिति के स्वयंसेवकों द्वारा ही इन लड्डुओं को तिरुपति मंदिर में आने वाले हिन्दू श्रद्धालुओं को पहले से निर्धारित कीमतों पर बेचा जाता है।
इन केस में आ सकते हैं फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट्स
YSR कांग्रेस पार्टी पर आरोप है कि जब आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार थी, तब इस समिति ने मंदिर के प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं में खराब और मिलावटी घी का इस्तेमाल किया। हालांकि, इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि अगर गाय बीमार हो या गाय को पाम ऑयल और वेजिटेबल ऑयल्स दिया गया हो, गाय कुपोषित हो, केमिकल्स दिए गए हों, ऐसे केस में भी फाल्स पॉजिटिव रिजल्ट्स आ सकते हैं। इन स्थिति के कारण गाय के घी में जानवरों की चर्बी और उनके फैट के अंश मिल सकते हैं।
जानबूझकर मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया
TDP के नेता ए.वी. रेड्डी ने आरोप लगाया है कि बाजार में गाय के घी की कीमत प्रति किलोग्राम कम से कम एक हज़ार रुपये है और तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लड्डू बनाने के लिए सिर्फ 325 रुपये की कीमत वाली गाय के घी का इस्तेमाल किया जाता है। जानबूझकर मन्दिर के लड्डुओं में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया।
मंदिर को हर साल मिलते हैं 500 करोड़
हर साल तिरुपति मन्दिर को लगभग तीन हज़ार करोड़ रुपये का चढ़ावा और दान मिलता है, जिसमें से लगभग 500 से 600 करोड़ रुपये प्रसाद (Tirupati Temple Prasad) के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं को बेचकर आते हैं।