Champat Rai Appeals On Ram Navami: राम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद इस बार की रामनवमी बेहद खास है। लंबे समय के बाद यह पहला मौका है जब रामलला अपना जन्मदिन अपनी जन्मभूमि पर भव्य मंदिर में मनाएंगे। इसलिए इस खास अवसर पर हर कोई अयोध्या में मौजूद रहना चाहता है और यह राम मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। राम मंदिर ट्रस्ट का अनुमान है कि लगभग 25 लाख लोग मौजूद रह सकते हैं लेकिन उसका कहना है कि अगर 15 लाख लोग भी अयोध्या में रहे तो वह सोएंगे कहां पर, रहेंगे कहां?
भावनाओं से नहीं व्यवहारिकता से सोचना होगा : चंपत राय
रामनवमी के समय दर्शन अवधि, प्रसाद वितरण समेत सारी व्यवस्था को सुचारू रूप से अमल में लाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसीलिए राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव अयोध्या के संतों और लोगों से साफ तौर पर कह रहे हैं कि रामनवमी के दिन की व्यवस्था को लेकर भावनाओं से नहीं व्यवहारिकता से सोचना होगा। अगर लोगों ने भावनाओं से सोचा तो वह भी हां जी , हां जी करते रहेंगे और 17 अप्रैल को चंपत गायब हो जाएंगे क्योंकि उनका नाम ही चंपत राय है। इससे यह साफ पता चलता है कि रामनवमी के अवसर पर अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या और दर्शन व्यवस्था को लेकर राम मंदिर ट्रस्ट कुछ अहम और बड़े फैसले लेने की तैयारी में है।
5 वर्ष के बालक हैं रामलला
रामनवमी के अवसर पर जब लोग अयोध्या आएंगे तो वह रामलला के दर्शन जरूर करना चाहेंगे। यही राम मंदिर ट्रस्ट के सामने सबसे बड़ा द्वंद है। ट्रस्ट के सामने असमंजस यह भी है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में विराजमान रामलला की आयु 5 वर्षीय बालक की है और प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह माना जाता है कि प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति जीवंत हो जाती है। यही कारण है कि उसे सुलाया, नहलाया, खिलाया जाता है। अब ऐसे में बालक रूपी राम को विश्राम देना भी जरूरी है और यही बात ट्रस्ट कह रहा है। रामनवमी पर दर्शन अवधि बढ़ाने को लेकर सबसे बड़ा असमंजस यही है।
राम मंदिर ट्रस्ट ने लोगों से की ये अपील
राम मंदिर ट्रस्ट ने एक बार फिर लोगों से अपील की है कि वह अपने स्थान पर ही रामनवमी मनाए, क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद यह सबसे नाजुक रामनवमी है। लिहाजा जो लोग अयोध्या आ जाए वह भी अपने गुरु स्थान पर रामनवमी मनाए और कुछ दिन बाद आकर रामलला के दर्शन करे। राम मंदिर ट्रस्ट का साफ तौर पर मानना है कि दर्शनार्थियों की संख्या अधिक हो जाएगी तो दर्शन नहीं केवल हुड़दंग होगा और यह उन्होंने 22 और 23 जनवरी को देख लिया है। लिहाजा मंदिर में नहीं तो बाहर दुर्घटना हो सकती है इसलिए सतर्क रहने की जरूरत है और इसको लेकर पुलिस या प्रशासन को दोष देने के बजाय पहले से लोगों को सजग रहने की जरूरत है ।