Aliganj Hanuman Temple: लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है। इस शहर का सबसे प्रसिद्ध और पुराना हनुमान मंदिर, जोकि लखनऊ के अलीगंज में स्थित है, ये मंदिर 500 साल से भी पुराना है। बताया जा रहा है कि इस हनुमान मंदिर की स्थापना नवाब मोहम्मद अली की पत्नी बेगम राबिया ने करवाई थी। इस मंदिर को हनुमान बाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है, इस्लामिक काल मे इसका नाम बदल कर इस्लाम बाड़ी कर दिया गया था। ऐसा बताया जाता है कि रामायण के समय जब लक्ष्मण जी और हनुमान जी सीता माता को वन में छोड़ने के लिए बिठूर ले जा रहे थे तो उसी रात वे इसी जगह रूके थे, और हनुमान जी ने माता सीता की सुरक्षा की थी।
लोग बताते है कि बेगम को कोई सन्तान नहीं थी। वो बहुत परेशान थीं। किसी ने उनसे इस्लाम बाड़ी बाबा की अर्जी लगाने को कहा और जब बेगम ने अर्जी लगाई तो उनकी इच्छा पूरी हो गई, उसके बाद एक समय बेगम के स्वप्न में हनुमान जी आए थे और बाग में अपनी मूर्ति होने की बात कही थी, जब बेगम ने इस जगह को खुदवाया तो वहां हनुमान जी की मूर्ति गड़ी हुई मिली थी, उसके बाद बेगम ने बहुत श्रद्धा के साथ उसे सिंहासन पर रख कर हाथी पर रखवा दिया ताकि हनुमान जी की स्थापना इमामबाड़े के पास मंदिर बनवाकर कराई जाएं। किन्तु वो हाथी चलकर अलीगंज के पास आकर रूक गया और आगे जाने को तैयार ही नहीं था। फिर उसी अलीगंज में हनुमान जी की स्थापना कराई गई। बेगम की बेटी आलिया का जन्म भी मंगलवार को हुआ था।
जयेष्ठ के महीने में बड़े मंगलवार को भंडारे कराने का कई महत्व है, ऐसा बताया जाता है कि एक समय पूरे शहर में महामारी फैल गई थी, जिससे सारे लोग परेशान होकर मंदिर में आकर रहने लगे,और इस बीमारी से बच गए थे। उस समय भी जयेष्ठ का महीना चल रहा था,और तब से जयेष्ठ महीने में बड़े मंगलवार को भंडारा कराया जाता है। लखनऊ शहर के लिए ये परंपरा के तौर पर बन गया है। हर साल जयेष्ठ के महीने में यह भंडारा कराया जाता है, इस भंडारे में हिन्दू हो या मुस्लमान बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और भंडारा कराते हैं। करोनो के समय से यह भंडारा समाज सेवा के रूप में तबदील हो गया। लोग इच्छानुसार तरह-तरह की चीजें बनवाकर भंडारा करवाते हैं।