Iqbal and Jagatguru Paramhansa Celebrate Holi in Ayodhya: अयोध्या का अपना अलग रंग है और इसी रंग में अयोध्या अपने आप में मस्त दिखाई देती है। यह रंग है सौहार्द का रंग और मंदिर मस्जिद विवाद का समाधान होने के बाद जब रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं, तो या रंग और गहरा हो गया है। इसीलिए होली के पहले ही बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार हो या श्री राम मंदिर के संघर्ष में शामिल जगतगुरु परमहंस आचार्य या फिर अयोध्या के सधु संत सभी होली के गीत संगीत के बीच फूलो और अबीर गुलाल में सराबोर नजर आए। रामलला के स्वागत के साथ सौहार्द के साथ सौहार्द के रंग कुछ इस तरह बिखरे कि कौन क्या है सारी पहचान ही मिट गई। इसीलिए सभी कह रहे हैं कि अयोध्या की यही तो पहचान है और इसी से रामराज्य की पहचान से अयोध्या जानी भी जाती है।
अयोध्या के तपस्वी छावनी मंदिर में साधु संत थे, तो बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी भी। ढोल पर थाप थी तो हाथो में फूलो की डालियां और ओठो पर होली खेले रघुवीरा, समेत अलग अलग गीत। इन सबसे आगे श्री राम जन्मभूमि मंदिर में विराजमान होने वाले रामलला की तस्वीर। इकबाल अंसारी साधु संतों के ऊपर झूमते गाते गुलाल लगा रहे थे, फूल बरसा रहे थे तो वहीं साधु संत भी उनके साथ कुछ ऐसा ही करते दिखाई दिए। यही तो अयोध्या की साझी विरासत है और इसके जरिए अयोध्या सारी दुनिया को बताती है कि यही तो हमारा असली रंग है और इसी रंग में दुनिया भर के लोगों को सराबोर और हो जाना चाहिए। जहां इकबाल कहते है कि रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने की जितनी खुशी आचार्य परमहंस को है उतनी ही खुशी मुझको भी है इसलिए अयोध्या में इस बार रामलला के स्वागत की होली है इसलिए बेहद खास भी है।